आचार्य जयशंकर की बढ़ी चर्चा: 33 साल पहले किया था BHU से बीटेक

आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र आचार्य जयशंकर नारायण ने महाकुंभ के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पिछले 33 वर्षों में इसमें कई बदलाव आए हैं। आचार्य ने 1992 में आईआईटी बीएचयू से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था और आज वे वेदांत दर्शन के महान शिक्षक हैं। वे पिछले 30 वर्षों से आर्ष विद्या संप्रदाय से जुड़े हुए हैं और दुनिया भर में वेदांत की शिक्षा दे रहे हैं। आचार्य का मानना है कि धर्म पहला पुरुषार्थ है और बिना धर्म के मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है।आचार्य ने हाल ही में महाकुंभ की सरकारी व्यवस्थाओं का भी मूल्यांकन किया। उनका कहना था कि पहले की तुलना में इस बार व्यवस्थाएं बेहतर हैं, लेकिन कुछ कमियां भी थीं। विशेष रूप से व्हीलचेयर की सुविधा का अभाव देखा गया, जिससे कई लोगों को सात किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। हालांकि, उन्होंने शौचालयों और सफाई व्यवस्था की सराहना की, जिसे उन्होंने शानदार बताया।
आचार्य जयशंकर मूल रूप से चेन्नई के रहने वाले हैं। वे अपनी पढ़ाई के लिए बनारस आए थे और आईआईटी बीएचयू में दाखिला लिया। कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने टाटा स्टील में केमिकल इंजीनियर के रूप में काम शुरू किया। डेढ़ साल बाद, उन्होंने नौकरी छोड़कर अमेरिका जाने का फैसला किया, लेकिन 1999 में वे स्वामी दयानंद सरस्वती के वेदांत दर्शन से जुड़ गए और आर्ष विद्या गुरुकुलम से शिक्षा ली।महाकुंभ में आचार्य जयशंकर ने इस बार की व्यवस्थाओं की सराहना की, लेकिन पैदल चलने की कठिनाई को भी बताया। शाही स्नान के दिन, लोगों को बहुत दूर रोका जा रहा है, और व्हीलचेयर की कोई व्यवस्था नहीं थी।
बावजूद इसके, उन्होंने मेला क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं और सफाई व्यवस्था की तारीफ की, जो पहले से बेहतर थी।इसके अलावा, परिषदीय विद्यालयों में महाकुंभ के महत्व को लेकर विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए एक विशेष पहल की गई है। इसके तहत, बच्चों को महाकुंभ और कुंभ के महत्व के बारे में 10 से 15 मिनट का सत्र दिया जाएगा। इसके लिए एक पुस्तिका तैयार की गई है, जिसमें 150 सवालों की सूची भी शामिल है।