खगड़िया में मछली कारोबार 22 करोड़ का, रोहू मछली की खपत देशभर में तेजी से बढ़ रही है

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खगड़िया जिले ने मछली उत्पादन और कारोबार में बिहार का नाम रोशन किया है, विशेष रूप से रोहू मछली के उत्पादन में। खगड़िया से प्रतिदिन लगभग 100 टन मछली अन्य जिलों और राज्यों में भेजी जाती है, जिनमें बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश और असम शामिल हैं। इस मछली कारोबार से जिले के किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं, और खगड़िया का मत्स्य उद्योग बिहार के अग्रणी उद्योगों में एक बन चुका है।

 

मछली उत्पादन में प्रमुख भूमिका:

खगड़िया की सात प्रमुख नदियां — कोसी, बागमती, गंगा, गंडक और बूढ़ी गंडक — मछली उत्पादन में अहम भूमिका निभाती हैं। इसके साथ ही जिले के प्रसिद्ध तालाब जैसे डेनी मोन, कसराइया मोन और कमलपुर मोन भी मछली पालकों के लिए प्रमुख स्रोत हैं। इन तालाबों में पाली जाने वाली मछलियों का स्वाद इतना लाजवाब है कि उनकी मांग न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अन्य राज्यों में भी होती है।

 

रोहू मछली की विशेष मांग:

रोहू मछली की विशेष मांग के कारण खगड़िया के मछली पालक अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसे अपनी स्वादिष्टता और गुणवत्ता के कारण खगड़िया के मत्स्य उद्योग का प्रमुख आधार माना जाता है। जिले के मछली कारोबारी अरविंद सहनी, पप्पू सहनी और योगेंद्र सहनी ने बताया कि खगड़िया से प्रतिदिन 100 टन से अधिक मछलियां अन्य राज्यों और जिलों में भेजी जाती हैं।

 

मछली मंडी की रौनक:

खगड़िया की मछली मंडियों में हर सुबह रौनक रहती है, क्योंकि यहां से थोक में मछलियां खरीदी जाती हैं। बिहार के विभिन्न जिलों जैसे सहरसा, भागलपुर, मधेपुरा, समस्तीपुर, बेगूसराय और पूर्णिया से पैकार (व्यवसायी) मछलियां खरीदने आते हैं। इन मंडियों से खरीदी गई मछलियां बिहार के अन्य जिलों और देश के विभिन्न हिस्सों में भेजी जाती हैं।

 

सरकारी योजनाओं का लाभ:

मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कई योजनाएं लागू की गई हैं, जिनमें सब्सिडी, मत्स्य तालाबों के निर्माण और उन्नत प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराने जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इन योजनाओं के कारण मछली पालकों और कारोबारियों को बेहतर लाभ मिल रहा है, जो उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध करने में मदद कर रही हैं।

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