बिहार: रेलवे क्लेम घोटाले पर शिकंजा, पटना, नालंदा समेत तीन शहरों में ईडी की रेड

रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी की टीमें पटना, नालंदा, और बेंगलुरु में विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। इस कार्रवाई से संबंधित क्षेत्रों में हड़कंप मच गया है।
छापेमारी के स्थान और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद
ईडी की अलग-अलग टीमें पटना में तीन, नालंदा में एक, और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापेमारी कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिनसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नए सुराग मिलने की उम्मीद है।
रेलवे न्यायिक अधिकारी और वकील की भूमिका
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से रेलवे के न्यायिक अधिकारी, वकील, और सरकारी कर्मचारियों की भूमिका सामने आई। रेलवे न्यायिक अधिकारी आरके मित्तल को इस मामले में पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। अब ईडी की टीम आरके मित्तल और उनके वकील बीएन सिंह के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शुरू हुई जांच
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जहां तत्कालीन न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने सीबीआई को इस मामले में केस दर्ज करने का निर्देश दिया था। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दावे किए गए और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच जारी
ईडी अब इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की भी जांच कर रही है। यह आशंका जताई जा रही है कि इस घोटाले में सरकारी धन को अवैध तरीके से ठिकाने लगाया गया। ईडी की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि आरोपी चाहे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, कानून से बच नहीं सकते।
सरकार और न्यायपालिका की सख्ती
इस घोटाले के उजागर होने के बाद रेलवे और अन्य विभागों में फर्जीवाड़े पर लगाम कसने के प्रयास तेज हो गए हैं। ईडी की कार्रवाई से न केवल दोषियों को सजा मिलने की उम्मीद बढ़ी है, बल्कि यह भी संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कोई रियायत नहीं दी जाएगी।