दिल्ली विधानसभा चुनाव: मायावती का सियासी दांव, 69 सीटों पर बसपा के उम्मीदवार
बसपा प्रमुख मायावती का जन्म दिल्ली में हुआ। पढ़ाई-लिखाई से लेकर नौकरी तक दिल्ली में की, लेकिन सियासी बुलंदी को उत्तर प्रदेश में छुआ। मायावती ने दिल्ली की सियासत में बसपा की जड़ें जमाने के लिए हर एक सियासी दांव आजमाए, लेकिन दिल्ली में बहुत ज्यादा कामयाब नहीं हो सकीं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा एक बार फिर से पूरे दमखम के साथ किस्मत आजमा रही और 70 सीटों में से 69 सीट पर अकेले चुनाव लड़ रही है।
मायावती ने दिल्ली की 69 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। दलित-मुस्लिम का सियासी प्रयोग करने वाली मायावती ने दिल्ली की किसी भी मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट पर मुस्लिम समाज से प्रत्याशी नहीं उतारा है। चाहे वो पुरानी दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटें हों या फिर पूर्वी दिल्ली की सीटें। ऐसे में साफ है कि दिल्ली को फतह करने से ज्यादा मायावती का फोकस उत्तर प्रदेश की सियासत पर है, जिसके तहत ही पूरा सियासी ताना बाना बुना है।
दिल्ली चुनाव से मायावती यूपी को सियासी संदेश देने की कवायद कर रही हैं। दिल्ली की कई विधानसभा सीटों पर मजबूत दलित और मुस्लिम समीकरण होने के बावजूद बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी देने के बजाय दलित और अति पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं पर ही दांव खेला है। इस तरह से क्या मायावती ने दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू उम्मीदवार उतारकर बसपा पर लगे बीजेपी के बी-टीम के नैरेटिव को तोड़ने की कवायद की है?
बसपा ने पांच मुस्लिम को दिया टिकट
बसपा ने दिल्ली की 69 विधानसभा सीटों पर चुनावी किस्मत आजमा रही, जिसमें से पांच सीट पर मायावती ने मुस्लिम को टिकट दिया है। बसपा ने दिल्ली के आदर्श नगर से मो. अब्दुल जब्बार, रिठाला से मो. नियाज खान, संगम विहार से जकिउल्लाह, तुगलकाबाद से अमजद हसन और लक्ष्मी नगर सीट से वकार चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। इसके अलावा बाकी सीटों पर बसपा ने हिंदू उम्मीदवार उतारे हैं।
दिल्ली की सियासत में आदर्श नगर, संगम विहार, रिठाला, तुगलकाबाद और लक्ष्मी नगर सीट को मुस्लिम बहुल सीट की श्रेणी में नहीं गिना जाता है क्योंकि यहां पर 15 फीसदी से कम मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके बाद भी मायावती ने इन 5 सीटों पर मुस्लिम उतारे हैं और जिन सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं, उन पर हिंदू समुदाय से प्रत्याशी उतारे हैं।
मुस्लिम बहुल सीट पर हिंदू उम्मीदवार
दिल्ली की सीलमपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, मटिया महल, मुस्तफाबाद, ओखला, बाबरपुर, करावल नगर और किराड़ी सीट पर 30 फीसदी से 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इसके बावजूद मायावती ने इन 9 मुस्लिम बहुल सीटों पर किसी भी मुस्लिम को उम्मीदवार बनाए जाने के बजाय हिंदू समाज से प्रत्याशी उतारे हैं।