बिहार: एक DL नंबर पर तीन फर्जी लाइसेंस बनाने वाले डीटीओ समेत चार पर केस

दरभंगा जिले में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। परिवहन सचिव ने तत्कालीन डेटा ऑपरेटर रूपेश कुमार और प्रोग्रामर विक्रमजीत प्रताप की सेवा बेल्ट्रोल को वापस करने का निर्देश दिया। इस मामले में दरभंगा के जिलाधिकारी राजीव रौशन द्वारा आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू करवाई गई और प्राथमिकी दर्ज करवाई गई। दरभंगा परिवहन विभाग की सहायक डीटीओ, स्नेहा अग्रवाल ने लहेरियासराय थाना में तत्कालीन डीटीओ शशिशेखर, प्रोग्रामर विक्रमजीत प्रताप, डेटा ऑपरेटर रूपेश कुमार और प्रभारी लिपिक कुमार गौरव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।इस मामले में एक नई समस्या तब सामने आई, जब यह पता चला कि दरभंगा के डीटीओ कार्यालय के अभिलेखागार से फर्जी लाइसेंस से संबंधित सभी दस्तावेज गायब हो गए थे। जिलाधिकारी राजीव रौशन को एक समिति द्वारा की गई जांच में यह जानकारी मिली कि डीटीओ कार्यालय से फर्जी लाइसेंस के सारे रिकॉर्ड गायब हैं। जब अधिकारियों ने इन रिकॉर्ड्स की तलाश की, तो वे कहीं भी नहीं मिले।
इस मामले पर बिहार के परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने दरभंगा के डीएम को कार्रवाई का निर्देश दिया था। उन्होंने तत्कालीन डीटीओ शशिशेखर और प्रभारी लिपिक कुमार गौरव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। इसके साथ ही रूपेश कुमार और विक्रमजीत प्रताप की सेवा बेल्ट्रोल को वापस करने का भी निर्देश दिया।जांच में यह भी सामने आया कि शशिशेखर ने मधुबनी में बैठकर दरभंगा जिले से फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए थे। एक ही लाइसेंस नंबर का उपयोग करते हुए बिहार, अरुणाचल प्रदेश और झारखंड में विभिन्न व्यक्तियों के नाम, जन्मतिथि और पते पर फर्जी लाइसेंस जारी किए गए। इस मामले में यह भी सामने आया कि धर्म का भी गलत तरीके से उल्लेख किया गया था, जैसे हिंदू व्यक्ति को मुस्लिम और मुस्लिम को हिंदू दर्शा कर लाइसेंस जारी किए गए। यह घोटाला और भी गंभीर हो गया है।