महाकुंभ 2025: त्रिवेणी घाट का आस्थामय दृश्य

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त्रिवेणी संगम में मंत्रों के उच्चारण सुनाई दे रहे हैं, जो कानों में एक अजीब सी मिठास घोल रहे हैं। हवा में एक आस्था और बैचनी का एहसास है, जैसे लोग उस खास पल का इंतजार कर रहे हों, जिसका 12 साल से बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। यह एक खास दिन की शुरुआत है। संगम का माहौल खामोशी में लिपटा हुआ है, साथ ही कुछ अनाउंसमेंट्स की आवाजें भी सुनाई दे रही हैं, जैसे वो महत्वपूर्ण घड़ी नजदीक आ रही हो। ठंड और कोहरा माहौल को और भी खास बना रहे हैं, और यह खामोशी ऐसे महसूस हो रही है जैसे सूरज के साथ कुछ बहुत खास होने वाला हो। मंत्रों का उच्चारण वातावरण को और भी पवित्र बना रहा है, जो कानों में गूंजते हुए शांति का अहसास करा रहे हैं।

घाट पर लोग चादरों में लिपटे हुए हैं, सर्दी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। हवा उनके संघर्ष को थोड़ा कम कर देती है, लेकिन फिर भी उनकी पकड़ मजबूत बनी हुई है। कुछ लोग बीच-बीच में चादर हटाकर आस-पास के लोगों को देखते हैं, उनकी आँखों में उस पल का इंतजार और उसकी प्राप्ति की इच्छा साफ नजर आती है। घाट पर हजारों लोग इसी एहसास में खड़े हैं। चाय-चाय की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जैसे वे भी इस आस्था यात्रा के साथ-साथ चल रहे हों।

आसमान में जगमगाती लाइटें सूर्य को चुनौती देने का सा अहसास कराती हैं, और गंगा में इन लाइटों का प्रतिबिंब कुछ और ही एहसास दिलाता है। घाट पर खड़ी नावें एक दूसरे से सटी हुई हैं, जैसे आने वाले तूफान के लिए तैयार हो। इस दौरान पुलिसकर्मी घाट पर व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस महापर्व को सुरक्षित रूप से मनाया जा सके। यहां की बातें, भाषाएं और माहौल यह बताते हैं कि पूरा देश उस पल का इंतजार कर रहा है। हम भी उसी घड़ी का इंतजार कर रहे हैं, ताकि आप इस अनुभव का हिस्सा बन सकें।

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