सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के रेप और अपहरण मामले में राजस्थान पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर जताई चिंता

 

2007 में हुए रेप और अपहरण के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की. बीते साल 2017 में महिला के साथ दुष्कर्म और उसके पति के अपहरण का मामला दर्ज हुआ था. अदालत ने पुलिस जांच की जांच के लिए सभी पुलिस रिकॉर्ड, बयान और अन्य चीजें मांगी, जिसमें 2018 में राजस्थान में सरकार बदलने के बाद रुख में एक नाटकीय बदलाव पाया गया. अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार दिसंबर 2018 में सत्ता में आई थी. एफआईआर में, महिला के पति ने आरोप लगाया कि क्लोजर रिपोर्ट पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला, जो गहलोत के करीबी सहयोगी हैं, उनके प्रभाव में दायर की गई थी.

मामला 2017 में सीकर के रींगस थाने में दर्ज हुआ था. 4 जनवरी, 2018 और 9 अगस्त, 2018 की जांच रिपोर्ट में 21 व्यक्तियों को संदिग्धों के रूप में पहचाना गया और उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का सुझाव दिया गया. हालांकि, मार्च 2020 में सबूतों की कमी का हवाला देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई थी. पति ने क्लोजर रिपोर्ट को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी और सीबीआई जांच की मांग की. नवंबर 2022 में, HC ने प्रक्रियात्मक पर्याप्तता पर जोर देते हुए, सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज की है।

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