Uttarakhand: निकाय चुनाव में टिकट को लेकर युवाओं और अनुभवी नेताओं के बीच जंग

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उत्तराखंड के निकाय चुनाव में टिकट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों में युवा और अनुभवी नेताओं के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। ये चुनावों को “जनप्रतिनिधित्व की पाठशाला” माना जाता है, जहां राजनीतिक दलों में टिकट की दावेदारी को लेकर युवा और अनुभवी नेताओं के बीच कड़ी टक्कर हो रही है। दोनों ही पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ मैदान में हैं।युवाओं का कहना है कि सांसद और विधायक के चुनाव में हमेशा वरिष्ठ नेताओं को ही टिकट मिलता है, जबकि निकाय चुनाव उनके लिए एक महत्वपूर्ण मौका है। उनका तर्क है कि अगर निकाय चुनाव में भी अनुभव के आधार पर वरिष्ठ नेताओं को प्राथमिकता दी गई, तो युवाओं को जनप्रतिनिधित्व का मौका कब मिलेगा? युवाओं के लिए यह चुनाव अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने का सबसे अच्छा मौका है, और वे इसे खोना नहीं चाहते।

वहीं, अनुभवी नेताओं का कहना है कि युवाओं के पास भविष्य में और भी चुनावी अवसर होंगे, लेकिन उनके पास बहुत कम समय बचा है। अनुभवी नेताओं का मानना है कि पार्टी में लंबे समय तक काम करने और जनता के बीच जुड़ाव बनाने का जो अनुभव उन्हें मिला है, वह उन्हें युवा उम्मीदवारों से कहीं अधिक सक्षम बनाता है। उनका कहना है कि चुनावी अनुभव और जनता के साथ संपर्क ही एक अच्छे उम्मीदवार के लिए सबसे जरूरी गुण हैं।इस स्थिति में, दोनों दलों के पर्यवेक्षकों और चुनाव समिति के सदस्य इस दावेदारी के जटिल सवाल का समाधान निकालने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। इसलिए, टिकट के चयन को लेकर अब पार्टी में रायशुमारी और सर्वे कराने का तरीका अपनाया गया है, ताकि दावेदारों के बीच संतुलन बन सके।दोनों दलों में टिकट का चयन सिर्फ उम्र या अनुभव के आधार पर नहीं किया जाएगा। इसका मुख्य आधार होगा उम्मीदवार की क्षेत्र में छवि, उसकी जीतने की क्षमता, पार्टी कार्यकर्ताओं की सहमति और सक्रियता। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उम्मीदवार चाहे युवा हो या अनुभवी, वह क्षेत्र में प्रभावी और पार्टी के लिए मेहनती कार्यकर्ता हो।

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