म्यूऑन की गति और अध्ययन में बढ़ी देरी, वैज्ञानिकों ने 2035 तक बढ़ाई समयसीमा

स्विटजरलैंड के जिनेवा में स्थित महामशीन के जरिए ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने का प्रोजेक्ट जारी है, जिसमें भारतीय वैज्ञानिक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस शोध का मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड के निर्माण में शामिल सूक्ष्म कण म्यूऑन की प्रकृति, गति और उनके प्रभावों का अध्ययन करना है। म्यूऑन एक इलेक्ट्रॉन से लगभग 200 गुना भारी होता है और इसकी गति प्रकाश की गति के करीब होती है, जिससे इस पर अध्ययन करने में अत्यधिक समय और धैर्य की आवश्यकता होती है।
इस शोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भौतिक विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक सक्रिय रूप से शामिल हैं। 1996 से एएमयू म्यूऑन कणों के अध्ययन में जुटा हुआ है, और 2008 से इस अध्ययन को जिनेवा में चल रहे महामशीन के एलिश प्रोजेक्ट के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है। म्यूऑन का अध्ययन बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसकी गति प्रकाश के समान तेज होती है, और इसकी सूक्ष्म प्रकृति के कारण इसके अध्ययन में समय लगता है।
म्यूऑन के अध्ययन के लिए जिनेवा में एक विशाल म्यूऑन स्पेक्ट्रोस्कोप स्थापित किया गया है, जिसकी ऊंचाई साढ़े तीन मंजिल है। इसमें पांच डिटेक्टर लगाए गए हैं, जिनमें से एक डिटेक्टर एएमयू ने तैयार किया है। इस डिटेक्टर का निर्माण एएमयू और कोलकाता के एक संस्थान के सहयोग से किया गया था। इसके बाद एएमयू इस डिटेक्टर की मरम्मत और देखरेख करता है। डिटेक्टर से प्राप्त डाटा का अध्ययन एएमयू में होता है, और फिर उसकी रिपोर्ट सर्न (CERN) कंपनी को भेजी जाती है।
इस प्रोजेक्ट में एएमयू के कई वैज्ञानिक शामिल हैं, जैसे प्रो. मो. इरफान, प्रो. मो. जफर, प्रो. तुफैल अहमद, प्रो. शकील अहमद, डॉ. नजीर, और श्वेता सिंह, उमामा, निदा मलिक, और बुशरा अली जैसी शोधकर्ताओं की टीम। बुशरा अली हाल ही में जिनेवा से लौट चुकी हैं और उन्होंने बताया कि इस समय म्यूऑन की प्रकृति और गति का अध्ययन हो रहा है, लेकिन इसके अध्ययन में समय और मेहनत की जरूरत है।
केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2035 तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है, जिससे भारतीय युवा वैज्ञानिकों में उत्साह और जोश बढ़ा है। एएमयू को इस प्रोजेक्ट के लिए 5.4 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। इस परियोजना में भारत के 16 प्रमुख संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक भागीदार हैं, और यह पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण शोध कार्य कर रहा है।
महामशीन प्रोजेक्ट का हिस्सा, एलिश प्रोजेक्ट, स्विटजरलैंड के जिनेवा में स्थित है और इसमें 1600 से अधिक वैज्ञानिक और इंजीनियर काम कर रहे हैं, जो अमेरिका, जापान, रूस, यूरोप, भारत सहित 24 देशों से हैं। एएमयू के छात्र भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं, और वे अक्सर जिनेवा में जाकर शोध कार्य में योगदान करते हैं।