बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए 510 करोड़ रुपये दान देने वाले प्रखर पर ED की कार्रवाई, शपथपत्र के बावजूद छापा

बिल्डर प्रखर गर्ग, जिन पर दो दर्जन से ज्यादा मुकदमें हैं, पिछले कुछ समय से अपनी छवि सुधारने के प्रयास में लगे हुए हैं। मथुरा के बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर का मामला हाईकोर्ट में चलने के बाद प्रखर गर्ग ने 510 करोड़ रुपये देने का शपथपत्र दाखिल किया था, जिससे वह मीडिया में सुर्खियां बटोरने में सफल रहे। इसके बाद, उन्होंने मंदिरों के शिलान्यास और जीर्णोद्धार के कार्यों में अपनी भागीदारी को बढ़ावा दिया, ताकि प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थाओं और लोगों के बीच अपनी छवि सुधार सकें। हालांकि, इसके बावजूद वह धोखाधड़ी और ठगी के आरोपों से मुक्त नहीं हो पाए हैं।
प्रखर गर्ग के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज हैं। एक मामला हरीपर्वत थाना में दर्ज हुआ था, जिसमें अरुण सोंधी, एक बैटरी और सोलर व्यापारी, ने आरोप लगाया था कि प्रखर गर्ग ने 5 करोड़ रुपये की डील के बाद भुगतान नहीं किया। इसके अलावा, प्रखर गर्ग पर 1.55 करोड़ रुपये की संपत्ति को बेचना और चेक बाउंस करने के आरोप भी लगे हैं। 2020 में एक अन्य मामले में 2.16 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप उनके खिलाफ लगा था।
इसके अतिरिक्त, प्रखर गर्ग पर 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का भी आरोप है। बैटरी व्यापारी अरुण सौंधी ने प्रखर पर आरोप लगाया कि उसने कमला नगर में एक होटल के द्वितीय और तृतीय तल को खरीदने का सौदा किया था, लेकिन पैसे की मांग के बावजूद पैसे नहीं दिए। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी, और प्रखर गर्ग फरार हो गए थे। इसके अलावा, प्रखर गर्ग के खिलाफ चेक बाउंस के 21 मामले दर्ज हैं, जिनमें 21 लाख रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की बात की जा रही है।
नवंबर 2022 में, प्रखर गर्ग को एक चेक बाउंस मामले में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें जेल भेजा गया था। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ी, और वह एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए। लेकिन बाद में उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया। पुलिस ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किए हैं।
प्रखर गर्ग की गिरफ्तारी के बाद, उनकी छवि और मामलों की जांच अब भी जारी है, और उनकी भविष्यवाणी यह है कि उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा।