बिजली सुधार के लिए यूपी सरकार का कदम, ऊर्जा मंत्री बोले- निजीकरण से मिलेगा समाधान

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग में सुधार की आवश्यकता को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग में कई कमियां हैं और वर्तमान स्थिति धरातल पर बेहतर नहीं है। शर्मा ने कहा कि विभाग में कार्यकर्ताओं के नाक के नीचे बिजली चोरी हो रही है, जिनका कर्मचारी जानकार होते हुए भी इसे रोकने में विफल हैं। इस समस्या का समाधान पाने के लिए उन्होंने बिजली विभाग के निजीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। एके शर्मा ने उदाहरण देते हुए कहा कि नोएडा और आगरा में बिजली वितरण के निजीकरण से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं और वहां की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश को 24 घंटे बिजली देना है और विकास की दिशा में आगे बढ़ना है तो निजीकरण जरूरी है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य इस निजीकरण के खिलाफ हैं। विधान परिषद में सपा के मुकुल यादव और शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया और आरोप लगाया कि सरकार बिजली विभाग का निजीकरण कर पूंजीपति घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर बिजली चोरी हो रही है तो विभाग को निजी हाथों में सौंपने की बजाय सख्त कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। सपा के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि निजीकरण से आरक्षण व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जो एक साजिश है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि नई व्यवस्था में आरक्षण की नीति जारी रहेगी या नहीं।
इस पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि योगी सरकार ने 1.5 लाख मजरों तक बिजली पहुंचाई है और यह आवश्यक सेवा हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। उन्होंने गुजरात का उदाहरण दिया, जहां 2001 में बिजली संकट था, लेकिन वहां के निजीकरण मॉडल से अब 24 घंटे बिजली मिल रही है। शर्मा ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में हर यूनिट बिजली पर घाटा है और यहां संगठित रूप से चोरी हो रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि संभल में मस्जिदों में भी बड़ी बिजली चोरियां पकड़ी गई हैं। हालांकि, ऊर्जा मंत्री ने यह भी साफ किया कि नई प्रस्तावित व्यवस्था के सभी नियम-शर्तें अभी तय नहीं हुए हैं और कर्मचारियों को भरोसे में लेकर ही इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इस बयान के बाद सपा के आशुतोष सिन्हा ने सवाल उठाया कि सरकार 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करके निजीकरण क्यों कर रही है, जबकि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। अंत में, सपा के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए, जिससे इस मुद्दे पर राजनीतिक तनाव और बढ़ गया।