Gurugram News: बीमा कंपनी को ब्याज सहित देने होंगे इलाज में खर्च हुए 3.12 लाख रुपये

गुरुग्राम: उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को एक साल पहले दिल की समस्या के इलाज का खर्च करीब 3.12 लाख रुपये उपभोक्ता को वापस करने का आदेश दिया है। यह राशि नौ फीसदी ब्याज दर से दी जाएगी। इसके साथ ही मानसिक कष्ट के लिए भी उपभोक्ता को पचास हजार और कानूनी खर्च के रूप में 22 हजार रुपये का भी भुगतान करना होगा।
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष संजीव जिंदल ने कंपनी को दोषी ठहराते हुए कहा कि बीमा कंपनी ने दावे को गलत तरीके से अस्वीकार किया है। कंपनी की सेवाओं में कमी रही हैं। बीमा कंपनी को दावे की राशि के साथ मानसिक पीड़ा के पचास हजार व कानूनी खर्च के 22 हजार रुपये भी देने होंगे। अगर बीमा कंपनी आदेश का पालन नहीं करती है, तो बीमा धारक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 71(1) के तहत निष्पादन याचिका दायर कर सकता है। इसके अलावा, बीमा कंपनी के खिलाफ धारा 72 के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है, जिसमें तीन साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
सेक्टर 82 के रहने वाले महेश चंद चतुर्वेदी को सीएडीएसीएस इन्फीरियर वाल की समस्या हो गई थी। इसमें हृदय का वाल्व ठीक से काम नहीं करता है। महेश इसके उपचार के लिए चार मई 2023 को एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए थे। उपचार में करीब 3.12 लाख रुपये का खर्च आया था। महेश ने इस खर्च के लिए अपनी बीमा कंपनी को आवेदन किया था। कंपनी ने आवेदन को खारिज कर दिया था। कंपनी ने दावे को खारिज करते हुए कहा था कि उपभोक्ता ने 2005 में हुई पीटीसीए (परक्यूटीनियस ट्रांस ल्यूमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी) चिकित्सा प्रक्रिया, जिसमें हृदय की धमनियों में रुकावट को दूर करने के लिए एक स्टंट (एक छोटी सी ट्यूब) का उपयोग किया जाता है। इसका विवरण नहीं दिया था। महेश ने कंपनी के खिलाफ याचिका में कहा कि बीमा कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि वह बीमा करने से पहले बीमाधारक का परीक्षण सही से करे। बीमा हो जाने के बाद कंपनी दावा खारिज नहीं कर सकती है।