निर्वाणी अखाड़े में मुरेटिया की पदवी के लिए तीन साल की सेवा की अनिवार्यता, साधुओं के चार विभाग

dvdzs

वैष्णव संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़ों में निर्वाणी अनि अखाड़ा सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है। यह अखाड़ा न केवल संतों की सुरक्षा, बल्कि हिंदू देवी-देवताओं के मठों और मंदिरों के संरक्षण के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। सनातन संस्कृति की रक्षा में यह अखाड़ा हमेशा सक्रिय रहा है, और इसके प्रभावशाली नेतृत्व ने कई महत्वपूर्ण धार्मिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई है। निर्वाणी अनि अखाड़े में साधुओं के चार प्रमुख विभाग होते हैं: हरद्वारी, वसंतिया, उज्जैनिया, और सागरिया। ये विभाग विभिन्न धार्मिक कार्यों और समाज में सेवा के लिए जिम्मेदार होते हैं। महंत धर्मदास, जो इस अखाड़े के श्रीमहंत हैं, बताते हैं कि यहां महंत की पदवी पाने के लिए नए संन्यासियों को गुरु की सेवा में लंबा समय बिताना पड़ता है। गुरु के प्रसन्न होने पर और श्रीपंच की राय से महंत का पद मिल सकता है। इस अखाड़े की परंपरा के अनुसार, कोई भी नया साधु संन्यास ग्रहण करने के बाद तीन साल तक सेवा करता है, और फिर उसे ‘मुरेटिया’ की पदवी दी जाती है।

इसके अलावा, पंचायती नया उदासीन अखाड़ा भी बहुत महत्वपूर्ण है, जो संस्कृत, संस्कृति, ज्ञान, भक्ति, और नैतिकता के प्रचार में सक्रिय है। यह अखाड़ा 1902 में हरिद्वार के कनखल स्थित राजघाट पर स्थापित हुआ था और आज इसके देश भर में 700 से अधिक डेरे हैं, जिनमें 1.5 लाख से अधिक संत जुड़े हुए हैं। पंचायती नया उदासीन अखाड़ा न केवल धर्म प्रचार करता है, बल्कि संस्कृत महाविद्यालयों और धर्म प्रचार केंद्रों का संचालन भी करता है। यह अखाड़ा राष्ट्रप्रेम और नैतिक मूल्यों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।इस अखाड़े में श्वेत वस्त्रधारी संत होते हैं, और पंच प्रेसीडेंट सर्वोपरि होते हैं। इन पंचों के बिना यहां कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जाता। यह अखाड़ा महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में भी सक्रिय भूमिका निभाता है, और गुरु के प्रतीक के रूप में संगत साहिब की सवारी सबसे आगे चलती है। इसके अलावा, यह अखाड़ा पंचतत्व की पूजा करता है और धार्मिक कार्यों में विशेष योगदान देता है।

पंचायती नया उदासीन अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत धूनी दास हैं, और विभिन्न पंगतों के मुखिया इस अखाड़े के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों की देखरेख करते हैं। इनकी स्थापना से लेकर आज तक, यह अखाड़ा अपनी धार्मिक परंपराओं, संस्कृत शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के जरिए समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हो सकता है आप चूक गए हों