जबलपुर: सर्विस रिकॉर्ड में जन्मतिथि की गलती पर शिक्षक को न्यायालय से राहत

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जबलपुर हाईकोर्ट ने पन्ना जिले के शिक्षक हाकम सिंह गौड़ को जबरन सेवानिवृत्ति के मामले में राहत देते हुए उनकी पुनर्बहाली का आदेश जारी किया और उन्हें उनके पूरे वेतन का लाभ देने का निर्देश दिया। यह निर्णय चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सुनाया। अदालत ने पाया कि शिक्षक के सर्विस रिकॉर्ड में बिना किसी प्रमाण के गलत जन्मतिथि दर्ज की गई थी, जबकि उनके शैक्षणिक दस्तावेज स्पष्ट रूप से उनकी जन्मतिथि 1 जुलाई 1965 के रूप में प्रमाणित करते हैं। हाकम सिंह गौड़ ने 1988 में सहायक प्राध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और 1994 में उन्हें वार्डन के रूप में पदोन्नत किया गया था। लेकिन सर्विस रिकॉर्ड की इस त्रुटि के आधार पर उन्हें जून 2023 में, यानी उनकी सेवानिवृत्ति से पांच साल पहले, जबरन रिटायर कर दिया गया।

 

अपनी सेवानिवृत्ति के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि उन्होंने अपनी सही जन्मतिथि के लिए संबंधित विभाग को कई बार सूचित किया था और उनके स्कूल के प्राचार्य ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा मंडल से भी पुष्टि करवाई थी। मंडल ने स्पष्ट किया कि उनकी जन्मतिथि 1 जुलाई 1965 है। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर इस त्रुटि को सुधारा नहीं गया और शिक्षक को गलत तरीके से सेवानिवृत्त कर दिया गया। सरकार की ओर से दावा किया गया कि शिक्षक ने सेवा के अंतिम समय में सुधार के लिए आवेदन किया, जो नियमों के अनुरूप नहीं है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और इसे जन्मतिथि में सुधार का मामला मानने के बजाय, सर्विस रिकॉर्ड में की गई प्रशासनिक त्रुटि का मामला करार दिया।

 

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि शिक्षक के शैक्षणिक दस्तावेज स्पष्ट रूप से उनकी जन्मतिथि को प्रमाणित करते हैं, और बिना दस्तावेजी साक्ष्य के सर्विस रिकॉर्ड में गलत जानकारी दर्ज करना प्रशासनिक लापरवाही है। अदालत ने इसे न्याय और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ मानते हुए शिक्षक को उनके अधिकारों की बहाली का आदेश दिया। इस फैसले ने न केवल शिक्षक को न्याय दिलाया, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में दस्तावेजी प्रमाण की अनिवार्यता और समयबद्ध सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। यह निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक नजीर साबित हो सकता है, जहां कर्मचारियों को प्रशासनिक त्रुटियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

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