महाकुंभ में पुण्य की डुबकी पर संकट, गंगा में बगैर शोधन के नालों का पानी गिर रहा

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महाकुंभ के आयोजन से पहले गंगा नदी के जल की सफाई को लेकर किए गए तमाम दावे अब सवालों के घेरे में हैं। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के विभिन्न क्षेत्रों से यह खुलासा हो रहा है कि गंगा में गिरने वाले नालों के पानी को शुद्ध करने के लिए किए गए उपायों में कई खामियां हैं। इसके परिणामस्वरूप, गंगा में गंदे नालों का पानी बिना शोधन के गिर रहा है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था को खतरा हो सकता है, जो महाकुंभ के दौरान गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं।

 

अमर उजाला की एक पड़ताल में यह सामने आया कि महाकुंभ के पहले नालों को पूरी तरह से शुद्ध करने के दावे नाकाम होते दिख रहे हैं। आज भी गंगा में दर्जन भर से अधिक नालों का पानी बिना शोधन के गिर रहा है। इन नालों के पानी में सैकड़ों कॉलोनियों और गांवों का गंदा पानी भी शामिल है। विशेष रूप से, झूंसी और छतनाग में स्थापित किए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को लेकर कई समस्याएं सामने आई हैं। इन प्लांटों में से कई लंबे समय से बंद पड़े हैं, और इसके कारण गंदे पानी का शोधन नहीं हो पा रहा है।

 

झूंसी और छतनाग में महाकुंभ से पहले 61.45 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया गया था, जिसमें 17 नालों को शुद्ध करने का काम था। लेकिन 20 दिन पहले इन प्लांटों का संचालन बंद कर दिया गया। कारण बताया गया कि सड़क निर्माण के दौरान प्लांट के भूमिगत उपकरण टूट गए थे, जिनमें से नौ उपकरणों को अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। इन्हें जनवरी के पहले हफ्ते तक ठीक करने का वादा किया गया है।

 

प्रदेश में 84 नालों का पानी बायोरेमेडिएशन प्रक्रिया से गंगा में गिराया जा रहा है, लेकिन इनमें से 68 नालों का पानी बिना शोधन के सीधे गंगा में गिरता है। जबकि केवल 16 नालों का पानी एसटीपी से शुद्ध होकर गंगा में छोड़ा जाता है। यह स्थिति गंगा के निर्मलीकरण के दावों पर सवाल उठाती है और महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आस्था पर गंभीर असर डाल सकती है।

 

इसके अलावा, शहर के नौ एसटीपी प्लांटों का संचालन अडानी ग्रुप और जल निगम के द्वारा किया जा रहा है, जो गंगा के पानी को शुद्ध करने के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन अगर इन प्लांटों में सुधार नहीं किया जाता और गंगा में नालों का पानी बिना शोधन के गिरता रहता है, तो महाकुंभ के दौरान गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह एक गंभीर समस्या हो सकती है।

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