मध्य प्रदेश में 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान लॉन्च, सीएम बोले- “टीबी के खिलाफ जंग में सबकी भागीदारी जरूरी”

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मध्यप्रदेश में 100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदापुरम से वर्चुअल माध्यम से किया। यह अभियान नागरिकों की जिंदगी बचाने और टीबी (क्षय रोग) के प्रकरणों की पहचान, मृत्यु दर में कमी, और नए मामलों को रोकने के उद्देश्य से देशभर के 347 जिलों में शुरू हो रहा है। मध्यप्रदेश के 23 जिले भी इस अभियान में शामिल हैं।

 

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह अभियान प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसे सफल बनाने के लिए इसे जन-आंदोलन के रूप में अपनाने की जरूरत है। समाज के सभी वर्गों के सहयोग से इस अभियान को प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि “निक्षय मित्र” पहल के तहत टीबी मरीजों को पोषण सहायता दी जा रही है। मरीजों को पूरक खाद्य बास्केट प्रदान की जाती है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है, इसका इलाज संभव है, और इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है।

 

टीबी उन्मूलन का राष्ट्रीय लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के तहत जहां 2030 तक वैश्विक स्तर पर टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया गया है, भारत ने इस लक्ष्य को पांच साल पहले हासिल करने का संकल्प लिया है।

 

2015 से 2023 के बीच भारत में टीबी मामलों में 17.7% की कमी आई है, जो वैश्विक औसत 8.3% से दोगुनी है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह दर्शाता है कि देश टीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

 

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। उनका संकल्प है कि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज स्थापित हो, ताकि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

 

नागरिकों और संगठनों से अपील

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, और सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों से आग्रह किया कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा, “टीबी का इलाज संभव है और अब इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है।” इस अभियान के माध्यम से न केवल टीबी मरीजों को मदद मिलेगी, बल्कि प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य में भी योगदान दिया जा सकेगा।

 

यह 100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान टीबी के खिलाफ एक सशक्त कदम है, जो नागरिकों के सहयोग से एक आंदोलन का रूप ले सकता है। इससे टीबी उन्मूलन का सपना साकार करने में मदद मिलेगी।

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