क्वारब की खतरनाक तस्वीरें: जोखिम भरे सफर से कुमाऊं के तीन जिलों की आबादी परेशान

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क्वारब के लोगों के लिए दिन तो किसी तरह से गुजर जाता है, लेकिन रातें डर और चिंता में बीतती हैं। रात के समय अक्सर उनकी नींद टूट जाती है, क्योंकि पहाड़ी से बोल्डर गिरने की आवाजें आती हैं, जिससे पूरा परिवार घबराता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्होंने यहां काफी समय बिताया है, लेकिन ऐसा संकट पहले कभी नहीं देखा। एक बुजुर्ग, मनोज सिंह, ने कहा कि सड़क की स्थिति को सुधारने के लिए बड़ी मशीनों से पहाड़ी को काटा गया था, जिससे यह समस्या पैदा हुई। उन्होंने बताया कि सड़क चौड़ीकरण का काम तो सही था, लेकिन अब पहाड़ी के दरकने की समस्या का स्थायी समाधान जरूरी है।

इस समस्या का असर व्यापारियों पर भी पड़ रहा है। पहले, क्वारब से अल्मोड़ा और हल्द्वानी की ओर जाने वाले वाहन नियमित रूप से रुकते थे, जिससे यात्री स्थानीय दुकानों में चाय, नाश्ता और भोजन के लिए आते थे। व्यापारियों के अनुसार, पहले हर दिन लगभग 70-80 वाहन रुकते थे और इससे उनके व्यापार की अच्छी कमाई होती थी। अब, पहाड़ी दरकने की वजह से एक भी वाहन नहीं रुकता, जिससे उनके व्यापार को भारी नुकसान हो रहा है। धरम सिंह बिष्ट ने बताया कि पहले उनकी दिन की आमदनी 2500-3000 रुपये तक होती थी, लेकिन अब यह घटकर मुश्किल से 500-700 रुपये रह गई है। उन्होंने कहा कि इतनी कम आमदनी से दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है।

दीपक लटवाल ने कहा कि उनकी आमदनी अब 1000 रुपये तक सीमित रह गई है, जिससे चार कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो गया है। किशन सिंह बिष्ट ने बताया कि वह कई सालों से रेस्टोरेंट चला रहे हैं, लेकिन अब उनकी आमदनी इतनी घट गई है कि कर्मचारियों का वेतन निकालना कठिन हो गया है।इसके अलावा, दरकती पहाड़ी का मलबा सुयाल नदी में गिर रहा है, जो स्थानीय लोगों के लिए सिंचाई और पीने का मुख्य स्रोत है। इससे नदी में मलबा और बोल्डर जमा हो रहे हैं, जिससे पानी मटमैला हो गया है। सड़क पर उड़ती धूल भी एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे व्यापारियों को परेशानी हो रही है और उनके सामान खराब हो रहे हैं। सुरक्षा कर्मियों को भी इस धूल से समस्या हो रही है।

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