खरगोन के सियाराम बाबा की स्थिति स्थिर, भक्तों ने शुरू किया जाप

खरगोन के समीप नर्मदा तट पर स्थित भट्यान गांव के आश्रम में रहने वाले संत सियाराम बाबा, जो अपनी साधना और सादगी के लिए प्रसिद्ध हैं, वर्तमान में स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। 100 वर्ष से अधिक आयु के बाबा को हाल ही में निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उनकी हालत स्थिर नहीं थी, लेकिन बाबा की जिद के कारण डॉक्टरों को उन्हें अस्पताल से छुट्टी देनी पड़ी। डॉक्टरों ने उन्हें डिस्चार्ज करने का समर्थन नहीं किया, लेकिन उनकी आश्रम वापस जाने की इच्छा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
आश्रम में लौटने के बाद बाबा ने भक्तों से मुलाकात करना शुरू कर दिया। हालांकि, दो दिन से उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई, जिससे भक्तों में चिंता बढ़ गई है। बाबा के स्वास्थ्य की जानकारी मिलने के बाद, बड़ी संख्या में भक्त उनके आश्रम पहुंच रहे हैं और खिड़की से उनके दर्शन कर रहे हैं। भक्तगण उनके स्वास्थ्य के लिए भजन-कीर्तन और जाप कर रहे हैं।
आध्यात्मिक जीवन की प्रेरणा
सियाराम बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे एक साधारण जीवन बिताया। उन्होंने 12 वर्षों तक मौन व्रत धारण कर तपस्या की। उनके इस मौन व्रत के दौरान वे पेड़ के नीचे ध्यानमग्न रहे और साधना को जीवन का आधार बनाया। मौन तोड़ने के बाद जब उन्होंने पहली बार “सियाराम” कहा, तो भक्तों ने उन्हें इसी नाम से संबोधित करना शुरू कर दिया। उनकी सादगी का आलम यह है कि वे किसी भी भक्त से केवल 10 रुपये का दान स्वीकार करते हैं और उस राशि का उपयोग केवल आश्रम से जुड़े कार्यों में करते हैं।
भक्तों की श्रद्धा और बाबा का प्रभाव
बाबा की साधना और त्यागमय जीवन ने उन्हें एक आध्यात्मिक आदर्श बना दिया है। हर महीने हजारों भक्त उनके दर्शन के लिए आश्रम में आते हैं। भक्तों का मानना है कि बाबा की उपस्थिति मात्र से उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने डॉक्टरों को बाबा के स्वास्थ्य पर नजर रखने और नियमित चेकअप करने का निर्देश दिया है। डॉक्टरों की टीम आश्रम में जाकर उनकी स्थिति का आकलन कर रही है। बाबा की खराब तबीयत के बावजूद, भक्तों की श्रद्धा और भक्ति कम नहीं हुई है। आश्रम में भक्त बाबा के जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ भजन और प्रार्थनाएं कर रहे हैं।
सियाराम बाबा का जीवन त्याग, तपस्या और सादगी का प्रतीक है। उनकी साधना और उनके प्रति भक्तों की आस्था यह दिखाती है कि एक सच्चा साधक कैसे समाज में प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।