गंगोत्री हाईवे पर रॉक बोल्ट तकनीक से भूस्खलन रुकेगा, सिलक्यारा सुरंग में भी उपयोग हो रहा है

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गंगोत्री हाईवे पर रतूड़ीसेरा और बंदरकोट के भूस्खलन क्षेत्रों का इलाज रॉक बोल्ट तकनीक से किया जा रहा है, जो पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन रोकने के लिए बहुत प्रभावी साबित हो रही है। पहले भी गंगोत्री हाईवे पर नालूपानी और चुंगी बड़ेथी जैसे भूस्खलन क्षेत्र इसी तकनीक से स्थिर किए गए थे और अच्छे परिणाम मिले थे। विशेषज्ञों के मुताबिक, रॉक बोल्ट तकनीक भूस्खलन को 90 प्रतिशत तक रोकने में सफल हो सकती है, जिससे यह एक भरोसेमंद समाधान बन गया है।चारधाम सड़क परियोजना के तहत कई जगहों पर रॉक बोल्ट तकनीक से भूस्खलन क्षेत्रों का उपचार किया गया है। इनमें गंगोत्री हाईवे पर चिन्यालीसौड़ के पास नालूपानी और जिला मुख्यालय के पास चुंगी बड़ेथी शामिल हैं।

चुंगी बड़ेथी में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़क सुरक्षा गैलरी भी बनाई गई, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।अब रतूड़ीसेरा और बंदरकोट में भी रॉक बोल्ट तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इन दोनों स्थानों पर हाईवे का चौड़ीकरण भी किया जाएगा, जिससे यात्रा और भी सुरक्षित होगी। रतूड़ीसेरा में इस परियोजना पर 19.8 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि बंदरकोट में इस पर 9.3 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अधिकारियों का कहना है कि इन परियोजनाओं को मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।

पिछले साल सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के मलबे को हटाने के लिए भी इसी तकनीक का सहारा लिया गया था। मलबे को स्थिर करने के बाद, सुरंगों का निर्माण किया गया, जिसमें से दो सुरंगें अब तक पूरी हो चुकी हैं। रॉक बोल्ट तकनीक ऑस्ट्रेलियन पद्धति पर आधारित है, जिसमें भूस्खलन के लूज मलबे को हटाकर मिट्टी की स्थिति में सॉयल नेलिंग और चट्टानों में रॉक बोल्टिंग की जाती है। इस तकनीक से पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की समस्या को नियंत्रित करना संभव हो गया है, जिससे यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए रास्ते सुरक्षित बनाए जा रहे हैं।

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