जामा मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पेश करने में देरी, न्यायालय ने 8 जनवरी तक का दिया समय

ds

जिले में हिंसा के बाद जुमे के दिन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, कोर्ट में मस्जिद के सर्वे पर सुनवाई

हाल ही में हिंसा की घटनाओं के बाद, जिलेभर में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया। खासतौर पर शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान जामा मस्जिद में भारी सुरक्षा तैनात की गई थी। लगभग दो हजार से अधिक लोग नमाज अदा करने के लिए मस्जिद पहुंचे, लेकिन उन्हें केवल पहचान पत्र दिखाने के बाद ही मस्जिद में प्रवेश दिया गया। इस कदम का उद्देश्य किसी भी असामान्य गतिविधि या उपद्रव को रोकना था। सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, और पूरे जिले में पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित की गई थी। मस्जिद के पास और कोर्ट के आसपास भी बैरिकेडिंग की गई थी, साथ ही चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात थे।

सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) में भी मस्जिद के सर्वे को लेकर सुनवाई हुई। एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। कोर्ट ने दूसरे पक्ष के अधिवक्ताओं की सहमति के बाद उन्हें 10 दिन का समय दिया और मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को तय की। यह मामला महत्वपूर्ण था, क्योंकि मस्जिद के अंदर के कुछ हिस्सों को लेकर विवाद था कि क्या वे धार्मिक संरचनाएं हैं या नहीं।

सुरक्षा के लिहाज से, शुक्रवार को संभल क्षेत्र में इंटरनेट सेवा को छठे दिन बहाल कर दिया गया था, जबकि बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी को 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने स्पष्ट किया कि किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल को जिले की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इसी बीच, 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें जामा मस्जिद के पास बाइकों में आग लगाने वाले उपद्रवियों की पहचान करने के लिए पूछताछ की जा रही है। यह वीडियो ड्रोन द्वारा लिया गया था, जिसमें चार लोग बाइकों को गिराकर उसमें आग लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुलिस अब उपद्रवियों की पहचान के लिए लोगों से पूछताछ कर रही है ताकि उनकी गिरफ्तारी की जा सके और नुकसान की वसूली की जा सके।

इसके अलावा, कोर्ट में यह भी बताया गया कि 2018 में पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को मस्जिद में सर्वे करने से रोका गया था। सरकारी शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मस्जिद कमेटी के खिलाफ एएसआइ द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, क्योंकि बिना अनुमति स्मारक क्षेत्र में निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता।

समग्र रूप से, इस घटना ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी और आगामी सुनवाई को लेकर सभी पक्षों के बीच संवेदनशीलता और सतर्कता की आवश्यकता को और स्पष्ट किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हो सकता है आप चूक गए हों