लॉकडाउन से गंगा-यमुना की जल गुणवत्ता में सुधार: वाडिया संस्थान शोध

यमुना और गंगा जैसी प्रमुख नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए लॉकडाउन जैसी सख्ती की आवश्यकता है, यह दावा देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के दौरान नदियों का जल स्तर सुधरा था, और अगर ऐसा कोई कदम भविष्य में नियमित रूप से लिया जाए तो इन नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।यह शोध जियोकेमिकल ट्रांजक्शंस नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिक डॉ. समीर तिवारी के अनुसार, शोध में उत्तराखंड के अपर गंगा और यमुना रीवर सिस्टम (UGRS और UYRS) का अध्ययन किया गया। इस दौरान मई और जून 2020 के बीच एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण किया गया। लॉकडाउन के कारण औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां ठप हो गईं, जिससे नदियों में प्रदूषण की मात्रा काफी हद तक घट गई। इस दौरान नदी का जल साफ हुआ और उसमें घुली ऑक्सीजन (DO) का स्तर बढ़ा, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार आया।
वैज्ञानिकों ने इस दौरान गंगा और यमुना के कई हिस्सों से जल के नमूने एकत्र किए। उनके अध्ययन में पाया गया कि लॉकडाउन के दौरान गंगा नदी के ऊपरी हिस्से की जल गुणवत्ता में 93 प्रतिशत तक सुधार हुआ। यह सुधार इसलिए संभव हो सका क्योंकि इस समय कारखानों और नालों से निकलने वाले गंदे पानी का प्रवाह बंद हो गया था।वाडिया संस्थान के शोध में यह साबित हुआ कि यदि लॉकडाउन जैसे सख्त कदम उठाए जाएं, तो नदियों के पानी को बिना किसी ट्रीटमेंट के भी स्वच्छ और पीने योग्य बनाया जा सकता है। इसके अलावा, नदी के जल में मौजूद हानिकारक तत्वों का भी कम होना पाया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, गंगा और यमुना जैसी नदियां पिछले कुछ दशकों में बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी हैं, जिससे जलजीवों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है और मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। इसके प्रमुख कारणों में अनियोजित शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक कचरा डालना शामिल हैं।इस शोध के परिणाम यह दर्शाते हैं कि यदि हम प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सख्त कदम उठाएं, तो हमारी नदियां फिर से स्वच्छ हो सकती हैं।