झांसी अग्निकांड, मेडिकल कॉलेज में लापरवाही से उजागर हुए एक्सपायर्ड फायर सिलेंडर

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उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में लगी भीषण आग ने 10 नवजात शिशुओं की जान ले ली। हादसे के समय वार्ड में 55 नवजात भर्ती थे, जिनमें से 45 को बचा लिया गया। आग से झुलसने और दम घुटने के कारण 10 बच्चों की मृत्यु हो गई। प्रारंभिक जांच में लापरवाही की कई गंभीर खामियां उजागर हुईं।

 

आग बुझाने के लिए लगाए गए फायर सिलेंडर वर्षों पहले ही एक्सपायर हो चुके थे। इनमें से कुछ सिलेंडरों पर 2019 की फिलिंग और 2020 की एक्सपायरी डेट लिखी थी। ये सिलेंडर महज दिखावे के लिए रखे गए थे और आग बुझाने में पूरी तरह विफल रहे। फायर सेफ्टी के नाम पर लगी व्यवस्थाएं अप्रभावी साबित हुईं। सेफ्टी अलार्म भी आग लगने पर नहीं बजा, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई।

 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग और धुआं फैलने से वार्ड में हड़कंप मच गया। दरवाजे तक आग फैल जाने के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई। दमकलकर्मियों ने खिड़की के शीशे तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की। आग की लपटें और घना धुआं बचाव के काम में बाधा बनते रहे। बचाव कार्य आग लगने के लगभग आधे घंटे बाद शुरू हुआ, जिससे समय पर नवजातों को बचाना मुश्किल हो गया।

 

उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि फरवरी 2024 में फायर सेफ्टी की समीक्षा और जून में उसका ट्रायल हुआ था, फिर भी यह दुर्घटना हुई। यह घटना मेडिकल कॉलेज की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है। अगर फायर सुरक्षा उपकरण और अलार्म काम कर रहे होते, तो इस त्रासदी को टाला जा सकता था। प्रशासनिक लापरवाही के कारण 10 मासूम जानें असमय चली गईं, जो अत्यंत हृदयविदारक है।

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