कुंदर की उपचुनाव, हिमाचल IPS इल्मा अफरोज प्रकरण से गरमाई सियासत, भाजपा ने कांग्रेस-सपा पर साधा निशाना

हिमाचल प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को लंबी छुट्टी पर भेजने का मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। कुंदरकी निवासी 2017 बैच की आईपीएस इल्मा अफरोज की तैनाती हिमाचल प्रदेश के बद्दी जनपद में एसपी के रूप में हुई थी। यहां एक सत्ताधारी विधायक के साथ विवाद के बाद राज्य सरकार ने उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया। इस विवाद ने न केवल प्रशासनिक सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा भी बन गया है।
भाजपा ने इसे लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा है। कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने इस घटना को कांग्रेस की अल्पसंख्यक हितैषी छवि पर सवाल खड़े करने का मौका बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सत्ताधारी विधायक के वाहनों के चालान काटने पर एक ईमानदार अधिकारी को छुट्टी पर भेजना चिंताजनक है। भाजपा का कहना है कि यह कांग्रेस और सपा की कथनी और करनी में अंतर को दिखाता है।
वहीं, सपा के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एक आईपीएस अधिकारी को विधायक के दबाव में छुट्टी पर भेजना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉ. हसन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हस्तक्षेप कर इस मामले की जांच करवाने और संबंधित विधायक पर कार्रवाई करने की मांग की है। एआईएमआईएम के नेता वकी रशीद ने भी इसे एक ईमानदार अधिकारी का उत्पीड़न बताया और कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
इल्मा अफरोज के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक बड़ा जनसमूह खड़ा हो गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उनके संघर्ष और ईमानदारी की कहानियां साझा की जा रही हैं। यूट्यूबर्स ने उनके संघर्ष और आईपीएस बनने तक के सफर को सराहा और हिमाचल प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर तीखी आलोचना की।
इस बीच, इल्मा अफरोज 21 नवंबर तक छुट्टी पर हैं और अपनी मां के साथ अपने पैतृक गांव कुंदरकी में समय बिता रही हैं। उनसे मिलने उनके रिश्तेदार और परिचित पहुंच रहे हैं। लोग इस पूरे मामले की जानकारी लेकर उनके समर्थन में खड़े हैं। यह मामला न केवल प्रशासनिक निष्पक्षता बल्कि राजनीतिक दलों की प्राथमिकताओं को भी सवालों के घेरे में ला रहा है।