विश्व का सबसे बड़ा भूत मेला, बिहार के इस घाट पर उमड़ा तांत्रिकों का हुजूम

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हमारे देश ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अद्भुत प्रगति की है, जैसे कि चंद्रमा पर पहुंचना, परंतु समाज के कुछ हिस्सों में अंधविश्वास का प्रभाव आज भी गहरा है। इसका एक उदाहरण बिहार के हाजीपुर के कौनहारा घाट में कार्तिक पूर्णिमा की रात को देखने को मिलता है, जहां अंधविश्वास का आयोजन बड़े स्तर पर होता है। इस मेले में लोग भूत भगाने के अनुष्ठानों के लिए इकट्ठा होते हैं, जिसमें भारी संख्या में ओझा, तांत्रिक, और भगत भाग लेते हैं।

यह मेला खास तौर पर उन लोगों को आकर्षित करता है जो अपने जीवन में किसी प्रकार के भूत-प्रेत के भय से ग्रस्त हैं। इस अनुष्ठान में ओझा और तांत्रिक विभिन्न अनोखे तरीके अपनाते हैं जैसे कि “भूतों को पकड़ना और भगाना”। यह घटनाएं अक्सर आश्चर्यजनक और विचित्र लगती हैं। कई बार महिलाओं को भूत भगाने के नाम पर बालों से खींचा जाता है, गंगा में स्नान कराया जाता है, और बेत (छड़ी) से पिटाई की जाती है। ये सभी गतिविधियां अंधविश्वास का प्रसार करती हैं और किसी विज्ञानसम्मत आधार पर नहीं टिकी होतीं। इस पूरे आयोजन में मान्यता है कि तांत्रिक और ओझा ही भूतों की “भाषा” को समझ सकते हैं और उनके लिए विशेष उपाय कर सकते हैं।

हैरानी की बात यह है कि इस मेले को रोकने या लोगों को जागरूक करने के बजाय स्थानीय प्रशासन इस आयोजन के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था करता है। पुलिस की मौजूदगी, ट्रैफिक की व्यवस्था, और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों का इंतजाम किया जाता है। 1000 कांस्टेबल और 400 अधिकारियों को तैनात कर पूरी विधि व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया जाता है ताकि मेले में कोई अव्यवस्था न हो।

इस घाट का धार्मिक महत्व भी है। इसे मान्यता है कि इस घाट पर भगवान विष्णु ने गज की रक्षा की थी, जो ग्राह के आक्रमण से बचने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर रहा था। यह घटना इस स्थान की पवित्रता को और बढ़ाती है और कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान को विशेष बनाती है।

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