आनंद मोहन का चिराग पासवान और पप्पू यादव को लेकर बड़ा बयान, उपचुनाव परिणामों पर दिया खुलासा

पूर्व सांसद आनंद मोहन ने गुरुवार को सहरसा स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिहार की राजनीति और हाल के घटनाक्रमों पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने राजनीति में आंकड़ों के खेल को खारिज करते हुए कहा कि राजनीति सिर्फ आंकड़ों या पैसे के बल पर नहीं होती। उनका कहना था कि अगर आंकड़ों के आधार पर राजनीति होती, तो आज कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग या चार्टड अकाउंटेंट्स भी सांसद और विधायक होते। उन्होंने यह भी कहा कि पैसे के बल पर राजनीति का परिभाषा पूरी नहीं होती, और केवल आंकड़ों की राजनीति को सही नहीं ठहराया।
प्रशांत किशोर का नाम लिए बिना आनंद मोहन ने उनकी राजनीति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि शहरों में आयोजित किए जा रहे शिविरों, पोर्टेबल शौचालयों और युवाओं को बाइक देने जैसी गतिविधियों के माध्यम से बिहार में एक नया राजनीति का ट्रेंड शुरू हुआ है। उन्होंने इसे ‘दैनिक मजदूरों जैसी राजनीति’ करार दिया और सवाल उठाया कि क्या यह बिहार की राजनीति का नया तरीका है।
आनंद मोहन ने बिहार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में विकल्प की बात की। उन्होंने कहा कि बिहार में गांधीवादी और समाजवादी विचारधारा की राजनीति रही है, और इस तरह के प्रदर्शन बिहार की राजनीति के लिए शुभ नहीं हो सकते। बिहार में जिन नेताओं को विकल्प के रूप में देखा गया था, जैसे उपेन्द्र कुशवाहा, पप्पू यादव, चिराग पासवान, नागमणि और ओवैसी, उन सबकी राजनीति का कोई असर नहीं हुआ। उनके अनुसार, बिहार के मतदाता अभी भी एनडीए और महागठबंधन के बीच बंटे हुए हैं, और 2025 तक कोई भी विकल्प सामने नहीं आ सकता।
आनंद मोहन ने एनडीए और महागठबंधन के बीच चल रही राजनीति पर भी बात की और उपचुनावों के परिणामों को लेकर कहा कि इन परिणामों का सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चार सीटों के उपचुनावों में से तीन सीटें महागठबंधन के पास पहले थीं, और केवल इमामगंज सीट एनडीए के पास थी। उनके अनुसार, यह उपचुनाव केवल 2025 के चुनाव के स्वरूप को तय करने में मदद करेगा, लेकिन सरकार की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।