Uttarakhand: महाशीर मछली के साथ अमानवीय व्यवहार का वीडियो वायरल, मत्स्य विभाग में हलचल; कार्रवाई की अपील

राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राजस्थान के एक पर्यटक द्वारा एंगलिंग के नाम पर लुप्तप्राय महाशीर मछली के साथ क्रूरता करने का वीडियो सामने आया है, जिससे प्रशासन और मत्स्य विभाग में हलचल मच गई है। यह घटना उत्तराखंड के चूका क्षेत्र की है, जहां काली नदी में एंगलिंग की अनुमति दी जाती है। वीडियो में एक पर्यटक, आसिफ रजा खान, को महाशीर मछली के साथ असंवेदनशील व्यवहार करते हुए और उसे जल में छोड़ने के बजाय मारते हुए दिखाया गया है। यह मछली संरक्षित प्रजाति की है, और इसके साथ ऐसा क्रूरता का व्यवहार करना प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है।महिला मंगल दल कालीगूंठ, जो इस क्षेत्र में एंगलिंग परमिट जारी करने के लिए अधिकृत है, ने इस मामले में वन विभाग को तहरीर भेजी। तहरीर में बताया गया कि 9 नवंबर को आसिफ रजा खान ने एंगलिंग परमिट लिया था, और उसी दौरान उसने महाशीर मछली के साथ क्रूरता की। महिला मंगल दल की अध्यक्ष पूजा और ईश्वरी देवी ने आरोप लगाया कि आरोपी और उसके साथियों ने महाशीर मछली को जल में छोड़ने के बजाय उसे मार डाला, जिससे वीडियो में उसकी अमानवीयता साफ दिखाई देती है।
वीडियो के वायरल होने के बाद, प्रशासन और मत्स्य विभाग ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। हालांकि, महिला मंगल दल की तहरीर को पहले बूम वन रेंज ने स्वीकार नहीं किया, लेकिन बाद में यह मामला मत्स्य विभाग को सौंपा गया। जिला मत्स्य प्रभारी कुंवर सिंह बगड़वाल ने बताया कि तहरीर मिल गई है और इसे वन विभाग को भेज दिया गया है, ताकि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। एसडीएम आकाश जोशी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है।इस वीडियो के वायरल होते ही महिला मंगल दल को एंगलिंग परमिट जारी करने की अनुमति अगले आदेश तक रद्द कर दी गई है। जिला मत्स्य प्रभारी ने कालीगूंठ महिला मंगल दल को पत्र भेजकर बताया कि चूका क्षेत्र में महाशीर मछली को शिकार की तरह मारने की जानकारी मिली है और इसके साथ गलत व्यवहार हो रहा है। इसके साथ ही आरोपी आसिफ रजा खान को चंपावत जिले में एंगलिंग करने पर पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।महाशीर मछली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल किया गया है और इसे 2018 में IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) द्वारा रेड बुक में रखा गया था। यह मछली काली नदी जैसी हिमालयी नदियों में पाई जाती है। इस मछली के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों में इसको पकड़कर सुरक्षित नदी में छोड़ना शामिल है, जिससे पंचेश्वर और टनकपुर जैसे क्षेत्रों में पर्यटकों का आकर्षण बढ़ा है।