UP PCS, RO, ARO विवाद, क्या योगी सरकार पर पड़ेगा इसका असर?

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हाल ही में यूपी में छात्रों का एक व्यापक आंदोलन शुरू हुआ है, जिसमें ‘न बटेंगे, न हटेंगे’ का नारा लगाया जा रहा है। यह नारा छात्रों द्वारा यूपी पीसीएस, आरओ, एआरओ परीक्षाओं में हो रही देरी और दो शिफ्ट में परीक्षा कराने के फैसले के विरोध में दिया गया है। यह आंदोलन उस वक्त जोर पकड़ा जब यूपीएससी ने 22 और 23 दिसंबर को आरओ और एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा दो शिफ्ट में कराने की घोषणा की। छात्रों का मानना है कि दो शिफ्ट में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन अंक देने का झंझट होगा, जिससे पहली और दूसरी शिफ्ट के छात्रों के बीच असमानता उत्पन्न होगी। छात्रों की मांग है कि परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए, ताकि सभी को समान अवसर मिले। हालांकि यूपीएससी का तर्क है कि इतने बड़े पैमाने पर एक शिफ्ट में परीक्षा कराने के लिए पर्याप्त परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं हैं।

यह आंदोलन यूपी के उपचुनावों के बीच हो रहा है, जिसमें 20 नवंबर को मतदान होना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छात्रों का यह आंदोलन उपचुनावों के नतीजों पर असर डाल सकता है। खासकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र, जो पूर्वांचल क्षेत्र से आते हैं और ऐसी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं, वे इस प्रदर्शन से काफी प्रभावित हो रहे हैं। इससे पहले भी यूपी के युवाओं ने रोजगार और परीक्षा संबंधित मुद्दों पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ साल पहले यूपी पुलिस भर्ती के दौरान भी बड़ी संख्या में छात्रों ने आवेदन किया था, लेकिन परीक्षा रद्द कर दी गई थी। इसका असर भी चुनाव परिणामों पर पड़ा था, जिससे योगी सरकार को सीटों का नुकसान हुआ था।

 

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