Jammu-Kashmir News: “‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ का नारा देने वाले गिलानी को विधानसभा में दी जाएगी श्रद्धांजलि, जानें क्यों?”

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 Jammu-Kashmir: केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश की पहली विधानसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा देने वाले कट्टरपंथी अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी को भी श्रद्धांजली अर्पित की जाएगी।जम्मू कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हुआ है और उसमें उपराज्यपाल ने नव निर्वाचित सदस्यों को संबोधित किया है। सदन का जब भी सत्र शुरु होता है तो सत्रों के अंतराल के बीच अगर सदन का कोई तत्कालीन सदस्य या पूर्व सदस्य परलोक सिधार जाता है तो उसे सदन में याद किया जाता है और विभिन्न सदस्य उसे श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उसके योगदान को याद करते हैं। इसे आबिच्यूरी रेफ्रेंस कहते हैं।

केंद्र शासित प्रदेश की पहली विधानसभा

जम्मू कश्मीर विधानसभा का अंतिम सत्र फरवरी 2018 में हुआ था। जून 2018 में तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार गिर गई थी और इससे पहले की नयी सरकार के गठन के लिए चुनाव होता,केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का प्रस्ताव संसद में पारित कर दिया।

इसके बाद जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया और लद्दाख भी जम्मू कश्मीर से अलग हो गया। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2024 में संपन्न हुए और पहली निर्वाचित सरकार भी अक्टूबर 2024 में ही सत्तासीन हुई है।

इन नेताओं को दी जाएगी श्रद्धांजलि

लगभग छह वर्ष नौ माह बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा का सत्र शुरू हुआ है। इस दौरान जम्मू कश्मीर विधानसभा के जो पूर्व सदस्य स्वर्ग सिधारे हैं, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो चमन लाल गुप्ता,पूर्व विधायक राजेश गुप्ता, पूर्व विधायक प्रो भीम सिंह, पूर्व विधायक मदन लाल शर्मा को श्रद्धांजलि दी जाएगी।वहीं पूर्व विधायक रछपाल सिंह, पूर्व विधायक मुश्ताक बुखारी,पूर्व विधायक काजी मोहम्मद अफजल,पूर्व विधायक मोहम्मद शरीफ नियाज और सैयद अली शाह गिलानी के नाम भी उल्लेखनीय हैं।

पाकिस्तान विलय के समर्थक रहे हैं गिलानी

मोहम्मद सैयद अली शाह गिलानी कट्टरपंथी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन थे और वह हमेशा इस्लाम और टू नेशन थ्यौरी के नाम पर कश्मीर के पाकिस्तान विलय के समर्थक रहे हैं। उन्होंने खुलकर आतंकी हिंसा का समर्थन किया है। उनका निधन वर्ष 2021 में हुआ था।वह प्रतिबंधित जमाते इस्लामी के प्रमुख नेताओं में एक थे और उन्होंने एक बार नहीं बल्कि तीन बार 1972, 1977 और 1987 में सोपोर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जमाते इस्लामी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और विधायक बने।

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