सीएम योगी की कैबिनेट बैठक में 15 से अधिक प्रस्तावों पर चर्चा, PM से मुलाकात के बाद होगा अहम निर्णय

UP कैबिनेट बैठक: 15 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी मिलने की उम्मीद
लखनऊ: उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होगी, जिसमें 15 से अधिक प्रस्तावों को पास किए जाने की संभावना है। बैठक का मुख्य फोकस उद्योग, नगर विकास, और आगामी कुंभ मेला की तैयारियों पर होगा। इन प्रस्तावों के पास होने से राज्य में निवेश को रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
अचानक दिल्ली में पीएम मोदी से सीएम योगी की मुलाकात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को अचानक दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगभग एक घंटे लंबी बैठक की। इस बैठक में विधानसभा उपचुनाव और अगले साल जनवरी में आयोजित होने वाले महाकुंभ पर विस्तार से चर्चा हुई। योगी ने प्रधानमंत्री को महाकुंभ में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया।
बैठक के बाद सीएम योगी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की, और गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी उनकी देर रात बैठक होनी थी। आगामी उपचुनावों की रणनीति को लेकर दोनों नेताओं की यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
उपचुनाव और 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बैठक में विधानसभा की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनावों की रणनीति पर गहन चर्चा हुई। साथ ही, 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में उपजे विवाद को हल करने पर भी बातचीत की गई। माना जा रहा है कि उपचुनाव से पहले इस विवाद का समाधान निकालने का प्रयास किया जा सकता है, ताकि ओबीसी वर्ग में सकारात्मक संदेश भेजा जा सके।
महाकुंभ 2025: एकता और समर्पण का संदेश
महाकुंभ को लेकर योगी और मोदी के बीच विशेष चर्चा हुई। सीएम योगी ने हिंदू समाज में एकजुटता का संदेश देने के लिए महाकुंभ का उपयोग करने की बात कही। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से हुई पिछली बातचीत का जिक्र करते हुए बताया कि लिंगायत सहित सनातन धर्म से जुड़े विभिन्न समुदायों को कुंभ में आमंत्रित करने की योजना है। संघ ने इस विचार का समर्थन किया है।
“बटेंगे तो कटेंगे” और “एक हैं तो सेफ हैं” पर चर्चा
सीएम योगी के नारे “बटेंगे तो कटेंगे” का समर्थन संघ ने किया था, जबकि पीएम मोदी ने इसका विस्तार “एक हैं तो सेफ हैं” के रूप में किया। यह नारे झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावों में भी चर्चा का विषय बने हैं, जो भाजपा की चुनावी रणनीति में एकता का संदेश देने पर जोर देते हैं।