ग्रेनो में किसानों का हल्ला बोल: DM कार्यालय का घेराव, हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को लेकर उठाई आवाज
किसान पिछले कई दिन से चेतावनी दे रहे थे। किसानों ने यह स्पष्ट कहा है कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो उनका आंदोलन और भी तेज होगा।
अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले सोमवार को एक हजार से अधिक किसानों ने सूरजपुर स्थित डीएम कार्यालय का घेराव किया। इस विरोध प्रदर्शन में किसान जिला प्रशासन के साथ-साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते नजर आए। प्रदर्शन में बड़ी संख्या महिला, बुजुर्ग और युवा शामिल है। किसानों की प्रमुख मांगों में 10 प्रतिशत प्लॉट, 64.7 प्रतिशत मुआवजा, आबादी के मुद्दों का संपूर्ण समाधान और पुश्तैनी तथा गैर-पुश्तैनी किसानों के बीच भेदभाव को समाप्त करना शामिल है।
इसके अलावा किसानों की यह भी मांग है कि उन्हें 5 प्रतिशत प्लॉट पर कमर्शियल गतिविधियों की अनुमति दी जाए। किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं के समाधान के लिए बनी हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक किया जाए। इस कमेटी में रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष, मेरठ मंडलायुक्त, गौतमबुद्ध नगर के डीएम और तीनों प्राधिकरणों के सीईओ शामिल हैं।
किसानों का आरोप है कि यह रिपोर्ट अब तक दबाकर रखी गई है, जिससे उनकी समस्याओं का हल नहीं निकल पा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक उनका धरना और प्रदर्शन जारी रहेगा। वे अपने अधिकारों और न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं और इस संघर्ष से पीछे हटने का उनका कोई इरादा नहीं है। वह प्रशासन से अपने हक की मांग कर रहे हैं, जिसमें लंबे समय से लटके हुए मुद्दों का समाधान शामिल है।
किसान पिछले कई दिन से चेतावनी दे रहे थे। किसानों ने यह स्पष्ट कहा है कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो उनका आंदोलन और भी तेज होगा। किसानों के इस प्रदर्शन के मद्देनजर डीएम कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात है। अलावा, प्रदर्शन के कारण एलजी गोल चक्कर के आसपास ट्रैफिक डायवर्जन भी लागू किया गया है, जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा।