पर्यटन और विद्युत निगम में 100 करोड़ की हेराफेरी, ED ने शुरू की कागजातों की जांच

झारखंड में लगभग 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला हाल ही में सुर्खियों में आया है, जिसमें झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (जेटीडीसी), झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और झारखंड ऊर्जा उत्पाद निगम लिमिटेड के खाते शामिल हैं। इस मामले में चार आरोपितों को सीआइडी ने हिरासत में लिया था, जिन्हें गुरुवार को जेल भेज दिया गया है। आरोपितों में जेटीडीसी के पूर्व लेखापाल और कैशियर गिरजा प्रसाद सिंह, केनरा बैंक के निफ्ट हटिया शाखा के पूर्व प्रबंधक अमरजीत कुमार, साजिशकर्ता रूद्र सिंह उर्फ समीर कुमार और लोकेश्वर साह उर्फ लोकेश शामिल हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय हो गई है और उसने हेराफेरी से संबंधित दस्तावेजों की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। ईडी ने इस मामले में मनी लॉंड्रिंग के तहत अपनी जांच को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। आरोप है कि जेटीडीसी के खाते से 10 करोड़ 40 लाख रुपये, झारखंड विद्युत वितरण निगम से 65 करोड़ 50 लाख रुपये, और झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम से 40.50 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई।
गिरजा प्रसाद सिंह, जो कि पटना जिले के रूपसपुर का निवासी है, और अमरजीत कुमार, जो रांची के हटिया क्षेत्र में रहते हैं, दोनों ने इस फर्जीवाड़े में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूद्र सिंह और लोकेश भी इस साजिश में शामिल रहे हैं। एसआइटी ने इन चारों की निशानदेही पर 85 लाख रुपये नकद और 15 लाख रुपये के सोने के आभूषण बरामद किए हैं, साथ ही विभिन्न बैंकों में 39.70 करोड़ रुपये फ्रीज किए हैं।
इस मामले की शुरुआत 28 सितंबर को हुई, जब झारखंड पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक वित्त ने प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी खाते खोलकर निगम के खाते से 10 करोड़ 40 लाख रुपये की निकासी की गई। उन्होंने गिरजा प्रसाद सिंह, आलोक कुमार, और अमरजीत कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कराया। सीआइडी ने इस मामले को टेकओवर करते हुए चार अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की।
इससे पहले, ईडी ने मिड डे मील योजना के तहत 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले की जांच की थी, जिसमें आधा दर्जन आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उस मामले में करोड़ों की संपत्ति जब्त की थी। अब, वह झारखंड के पर्यटन और विद्युत निगमों के खातों से जुड़ी हेराफेरी की जांच भी कर रही है।
इस हेराफेरी मामले में कई अन्य व्यक्तियों के भी जांच के दायरे में आने की संभावना है, क्योंकि डीजीपी अनुराग गुप्ता के आदेश पर एटीएस के एसपी ऋषभ कुमार झा के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया गया है।
यह मामला झारखंड में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ गंभीर संकेत देता है। राज्य सरकार की ओर से इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। जब तक ऐसी साजिशों के पीछे के लोगों को कड़ा दंड नहीं मिलता, तब तक राज्य की वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार संभव नहीं है। इस प्रकार, यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है।