आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका की हड़ताल: झारखंड में क्या होंगे प्रभाव?

झारखंड की आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ ने शनिवार से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है, जिससे राज्य के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताले लग जाएंगे। ये सेविकाएं और सहायिकाएं अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रही थीं और उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
सेविकाओं की प्रमुख मांगों में विभाग की सेवा शर्त नियमावली में आवश्यक संशोधन करना शामिल है, ताकि उन्हें समय पर मानदेय और वार्षिक वृद्धि का लाभ मिल सके। वे यह भी चाहती हैं कि सहायक अध्यापकों की तरह उनके लिए मानदेय का प्रावधान किया जाए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। इसके अलावा, सेविकाओं ने केंद्रीय और राज्य के अंश का भुगतान एक साथ, नियमित समय पर करने की मांग की है।
हड़ताल के चलते बच्चों को पोषण युक्त आहार नहीं मिल पाएगा, और 6 साल तक के बच्चों का समय पर टीकाकरण भी प्रभावित होगा, क्योंकि आंगनबाड़ी सेविकाएं इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, वे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जानकारी लेने और नवजात शिशुओं एवं नर्सिंग माताओं की देखभाल करने का कार्य भी करती हैं।
झारखंड में लगभग 38 हजार सेविकाएं और सहायिकाएं कार्यरत हैं। इन सभी के हड़ताल में शामिल होने से आंगनबाड़ी कार्यक्रमों का संचालन ठप पड़ जाएगा, जो बच्चों और माताओं के लिए आवश्यक सेवाएं प्रभावित करेगा। इस स्थिति ने सरकार के लिए एक चुनौती पैदा कर दी है, क्योंकि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण संबंधी कार्यक्रमों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।