भगोरिया हाट का रंगारंग आगाज, पारंपरिक नृत्य और उल्लास का माहौल

वनवासी संस्कृति की अद्भुत मिसाल है भगोरिया हाट, जानिए इस सांस्कृतिक विरासत  के पीछे की अनसुनी कहानी...

आदिवासी संस्कृति के उत्सव में झूम उठा अंचल

झाबुआ-आलीराजपुर जिले में भगोरिया हाट की शुरुआत हो गई है, जहां मांदल की थाप और बांसुरी की तान पर आदिवासी समाज रंगारंग गेर निकाल रहा है। यह लोक उत्सव होली से एक सप्ताह पूर्व शुरू होता है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।

उत्सव में उमड़ा जनसैलाब

भगोरिया उत्सव में पारंपरिक वेशभूषा में सजे आदिवासी युवा और वृद्ध नृत्य करते हुए गेर निकालते हैं। काम के सिलसिले में अन्य राज्यों में गए लोग भी इस पर्व के लिए अपने गांव लौटने लगे हैं।

भगोरिया हाटों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी है।

  • हथियारों के प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
  • सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने पर सख्त कार्रवाई होगी।

भगोरिया उत्सव की खासियत

  • यह उत्सव आदिवासी प्रेम और मेल-मिलाप का पर्व माना जाता है।
  • इसमें निकाली जाने वाली गेर भगोरिया का मुख्य आकर्षण होती है।
  • यह पर्व झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी और खरगोन जिलों में धूमधाम से मनाया जाता है।

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