बिहार: मोहन भागवत का संदेश – ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत दुनिया के लिए मार्गदर्शक’

बिहार: मोहन भागवत का संदेश – ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत दुनिया के लिए मार्गदर्शक’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को बिहार के सुपौल जिले में सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के नए भवन का उद्घाटन करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन सभ्यता के आधार पर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दे सकता है। बता दें कि इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री नीरज सिंह बबलू भी शामिल हुए। उनके साथ अन्य स्थानीय नेता और आरएसएस के सदस्य भी इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा बने।

भारत की प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक महत्व
भागवत ने भारत की सभ्यता को दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक बताया। उन्होंने कहा कि भारत का सांस्कृतिक धरोहर हमेशा से ही दुनिया को दिशा देने वाला रहा है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जो न केवल अपने स्वयं के लोगों को, बल्कि पूरी दुनिया को अपने मूल्यों, संस्कारों और संस्कृति के माध्यम से सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे सकता है। उनके अनुसार, यह भारत की विशेषता है कि यह न केवल अपने देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपने मूल्यों को प्रस्तुत करता है।

विद्या भारती और शैक्षिक उद्देश्य पर जोर
भागवत ने आरएसएस की शैक्षिक शाखा, विद्या भारती, के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि विद्या भारती शिक्षा, संस्कार और ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित है, और यह संगठन भारत में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों में भेजें, ताकि वे केवल शैक्षिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि संस्कार और नैतिक मूल्यों के दृष्टिकोण से भी एक मजबूत आधार प्राप्त कर सकें।

बिहार के साथ जुड़ाव का जिक्र
भागवत ने बिहार राज्य के साथ अपने पुराने संबंधों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वह अपने करियर के शुरुआती दिनों में बिहार में क्षेत्रीय प्रचारक के रूप में कार्य कर चुके हैं और वहां छह साल तक बिताए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में रहते हुए उन्होंने राज्य की संस्कृति, समाज और वहां के लोगों को अच्छे से समझा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि समय की कमी के कारण वह बिहार के कई अन्य स्थानों पर नहीं जा पाए, लेकिन वह यहां आने पर हमेशा राज्य के विकास को लेकर उत्साहित रहते हैं।

बिहारवासियों की सराहना की
भागवत ने बिहार के लोगों की मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि बिहारवासी कड़ी मेहनत और पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। उन्होंने राज्य के लोगों की संघर्षशीलता और उनके सामर्थ्य को प्रोत्साहित किया। विशेष रूप से, उन्होंने दशरथ मांझी का उदाहरण दिया, जिनके बारे में सभी जानते हैं कि उन्होंने अपने गांव को पहाड़ों के बीच से जोड़ने के लिए वर्षों तक मेहनत की और एक पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया। यह उदाहरण बिहारवासियों की मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।

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