UP: सपा सरकार बनते ही 10 दिनों में खत्म हुए वासुदेव यादव के सभी केस, आधी रात तक खुला था सचिवालय

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सपा के पूर्व एमएलसी और यूपी बोर्ड के सचिव व माध्यमिक शिक्षा निदेशक रहे वासुदेव यादव को 2012 में सपा की सरकार आते ही संजीवनी मिली थी। 10 दिनों में उनके खिलाफ चल रहे अनुशासनात्मक कार्रवाई और घोटालों के मामले खत्म कर दिए गए थे। इसके लिए सचिवालय को आधी रात तक खोला गया था।

वासुदेव यादव के पास आय से अधिक संपत्ति मिलने के मामले के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। यूपी बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सपा की सरकार आने से पहले वासुदेव यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के दर्जनों मामले लंबित थे।

पांच मार्च 2012 को जब विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुआ और सपा बहुमत के साथ सत्ता में आई तो उनकी किस्मत अचानक पलट गई। सूत्र बताते हैं कि पांच से 15 मार्च तक देर रात सचिवालय खोलकर वासुदेव यादव के खिलाफ चल रहे मामलों को खत्म कराया गया।

उनके खिलाफ लोकायुक्त की जांच भी चल रही थी, जिसे दबा दिया गया। अचानक डीपीसी हुई और आनन-फानन उनका प्रमोशन करते हुए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के निदेशक का पद सौंप दिया गया। वर्ष 2012 से 2014 तक निदेशक रहने दौरान ही उन पर घोटाले के आरोप लगे।

ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर वासुदेव यादव का नाम हमेशा विवादों में रहा। अगस्त 2003 से मई 2007 तक सपा की सत्ता के दौरान भी वह दो बार यूपी बोर्ड के सचिव रहे। बोर्ड सूत्रों का कहना है कि इस दौरान उन्होंने ऊंची दरों पर प्रश्नपत्रों की छपाई कराई।

डिबार किए गए सैकड़ों कॉलेजों को दोबारा परीक्षा केंद्र बनवा दिया। सपा सरकार में उनकी इतनी पहुंच थी कि सेवानिवृत्ति के बाद पार्टी ने उन्हें एमएलसी तक बनवा दिया।
पूर्व एमएलसी व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक वासुदेव यादव गिरफ्तार
विजिलेंस की टीम ने सपा के पूर्व एमएलसी और शिक्षा बोर्ड के निदेशक वासुदेव यादव को उनके जार्ज टाउन स्थित आवास से मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। आय से अधिक संपत्ति के मामले में वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

पिछले करीब तीन साल से वासुदेव यादव कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। सितंबर-2017 में सीएम के निर्देश पर वासुदेव यादव की संपत्तियों की जांच शुरू हुई थी। उन पर शिक्षा निदेशक रहते हुए अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। निर्धारित अवधि के बीच हुई आय, खर्चों, खरीदी गई संपत्तियों व निवेशों के बारे में विजिलेंस ने गहनता से जांच पड़ताल की थी।

इसमें सामने आया कि वासुदेव यादव की आय करीब 89.42 लाख रुपये थी, जबकि विजिलेंस की विवेचना में आय से 293 फीसदी अधिक संपत्ति जुटाने का साक्ष्य मिला था। यह रिपोर्ट शासन को सौंपी जाने के बाद भी वासुदेव ने अपना बयान दर्ज नहीं कराया था। शासन से अनुमति मिलने के बाद जनवरी-2021 में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) प्रयागराज के थाने में वासुदेव यादव के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी।

इसके बाद से ही वासुदेव कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। मामले में मंगलवार दोपहर विजिलेंस इंस्पेक्टर नन्हे राम सरोज और जय श्याम शुक्ला के नेतृत्व में जार्ज टाउन थाना क्षेत्र के अमरनाथ झा मार्ग स्थित उनके आवास पर स्थानीय पुलिस के साथ टीम पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद विजिलेंस की टीम ने वासुदेव को वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशकर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
25 फरवरी को जारी किया था वारंट, 12 मार्च को है सुनवाई
विजिलेंस अफसरों के मुताबिक, कोर्ट की ओर से वासुदेव यादव के खिलाफ कई बार नोटिस और वारंट जारी किया जा चुका है। आखिरी बार 25 फरवरी 2025 को वासुदेव के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इसके बाद से विजिलेंस की टीम ने वासुदेव की घेराबंदी शुरू की और 04 मार्च को उनके आवास से ही गिरफ्तार कर लिया। वाराणसी कोर्ट में 12 मार्च 2025 को मामले में अगली सुनवाई होनी है।

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