गोरखपुर: निजी अस्पताल में मरीज बेचने पर एंबुलेंस चालक और ईएमटी पर केस, बर्खास्त

गुलरिहा क्षेत्र में एक बच्ची की गंभीर हालत के बाद उसे इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेजा गया था। 108 नंबर की एंबुलेंस से गोरखपुर पहुंचने पर, बाल रोग संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि वेंटिलेटर खाली नहीं है और बच्ची को दो दिन इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में, एंबुलेंस चालक और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे एक निजी अस्पताल में भेजने का निर्णय लिया।
निजी अस्पताल में इलाज के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस चालक को कई 500 रुपये के नोट दिए और बच्ची की हालत गंभीर बताकर 60 हजार रुपये की मांग की। इसके बाद, अधिक पैसे की मांग की गई। जब परिजनों ने बच्ची को वापस मेडिकल कॉलेज भेजने की इच्छा जताई, तो अस्पताल कर्मियों ने गलत इंजेक्शन लगाने की धमकी दी और बच्ची की जान को खतरे में डालने की कोशिश की।यह देखकर परेशान परिजनों ने पुलिस से शिकायत की। रात में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया है और परिजन उसे ले जाने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद, अस्पताल ने बच्ची को देवरिया जिला अस्पताल भेज दिया, जहां से उसे फिर से बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
परिजनों ने फिर से 108 नंबर पर कॉल किया, और वही एंबुलेंस, जो पहले बच्ची को गोरखपुर लेकर आई थी, उसे फिर से मेडिकल कॉलेज लेकर आई। मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर, परिजनों ने पुलिस चौकी को सूचित किया और पुलिस ने बच्ची को बाल रोग संस्थान में भर्ती कर लिया। इसके बाद, एंबुलेंस चालक और ईएमटी को हिरासत में ले लिया गया। अस्पताल की जांच में यह पाया गया कि वह पंजीकृत था, और अब बच्ची का इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है, और दोनों को बर्खास्त कर दिया गया है।