महाकुंभ की दिव्यता ने विदेशी श्रद्धालुओं को किया आकर्षित, संगम में डुबकी लगाई

महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के दिन, श्रद्धालु दुनिया भर से प्रयागराज पहुंचे, जहां उन्होंने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई। इस विशेष आयोजन का हिस्सा बनने के लिए न केवल भारत बल्कि विदेशी श्रद्धालु भी उमड़े।
जोनाथन और जेरेमी का अनुभव
पहली बार भारत आने वाले जोनाथन ने अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि उनका अनुभव बहुत ही खुशनुमा है। उन्हें यहां के लोग और खाना दोनों ही बहुत अच्छे लगे। जोनाथन ने भारत के धर्मस्थल, मंदिरों और पवित्र स्थानों को देखने का अनुभव बेहद सुखद बताया। उन्हें यहां के शाही स्नान में भाग लेने की बड़ी उत्सुकता है।
दूसरी ओर, जेरेमी ने भी महाकुंभ में गंगा और यमुना के दर्शन को बहुत सुखद अनुभव बताया। वह सात वर्षों से सनातन धर्म का पालन कर रहे हैं और इस धर्म को अंधविश्वास से परे, विश्वास और आस्था का एक सुंदर रूप मानते हैं। उन्होंने इस धर्म की सुंदरता को इसके विश्वास में बताया, जो अंधविश्वास से परे है।
विदेशी श्रद्धालुओं का भारत के प्रति प्रेम
रूस से आए श्रद्धालु ने अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा कि वह पहली बार महाकुंभ में भाग ले रहे हैं और इस अनुभव से बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने भारत के लोगों को प्रेम से भरा और गर्मजोशी से स्वागत करने वाला बताया। उन्होंने भारत माता की जय के नारे भी लगाए, जो भारतीय संस्कृति और आस्था की प्रतीक हैं।
ब्राजील से आए फ्रांसिस्को ने महाकुंभ में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि भारत वास्तव में धार्मिक दृष्टि से दुनिया का दिल है। उनका मानना है कि यहां का पानी ठंडा जरूर है, लेकिन यहां के लोग गर्मजोशी से स्वागत करने वाले हैं, जो इस आयोजन को और भी खास बनाता है।
महाकुंभ 2025: 144 साल बाद बन रहा महासंयोग
महाकुंभ का आयोजन इस बार 144 साल बाद एक महासंयोग के साथ हो रहा है, जिससे इसकी विशेषता और भी बढ़ गई है। इस बार के महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। 13 जनवरी से शुरू हुआ यह आयोजन 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करेंगे।
यातायात व्यवस्था और सुरक्षा
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए, मेला प्रशासन ने यातायात व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। यातायात पुलिस ने श्रद्धालुओं के सुगम मार्ग दर्शन और यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए इंतजाम किए हैं, ताकि लोग आसानी से मेलास्थल पहुंच सकें और इस धार्मिक आयोजन का पूरा अनुभव कर सकें।
महाकुंभ 2025 न केवल भारत के लिए एक महान धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह वैश्विक आस्था और भाईचारे का प्रतीक भी है, जिसमें लाखों लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ एकत्रित होते हैं।