शिवराज ने खुद के लिए नहीं, बल्कि सखा के लिए की वोट की अपील, बुधनी उपचुनाव में गांव-गांव करेंगे प्रचार

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बुधनी में भाजपा की कड़ी परीक्षा, उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान को उतरना पड़ा मैदान में

बुधनी: मध्य प्रदेश के बुधनी विधानसभा क्षेत्र में आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रचार में उतरना पड़ रहा है। 2006 से लेकर 2023 तक बुधनी के हर चुनाव में भाजपा के लिए प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल करने वाले शिवराज सिंह चौहान पहली बार किसी और उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। यह चुनाव उनके लिए भी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस बार भाजपा प्रत्याशी भार्गव को पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच असंतोष का सामना करना पड़ रहा है।

 

पहली बार शिवराज चुनाव प्रचार में, खास सखा के लिए मांगेंगे वोट

शिवराज सिंह चौहान अब तक अपने क्षेत्र में हर चुनाव में सीधे जीतते आए हैं और उनके नाम का प्रभाव ही उनकी जीत सुनिश्चित करता रहा है। लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी के रूप में खड़ा नहीं किया। इसके बजाय रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया गया है, जिनके लिए शिवराज सिंह को प्रचार करना पड़ रहा है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, शिवराज सिंह चौहान 7 नवंबर को पिपलानी, छिदगांव काछी और रेहटी में चुनावी सभाएं करेंगे और जनसभाओं के माध्यम से आम मतदाताओं से सीधे रूबरू होंगे।

 

कार्यकर्ताओं और जनता के असंतोष का सामना कर रहे हैं भाजपा प्रत्याशी

भाजपा के लिए यह उपचुनाव आसान नहीं है। चुनावी प्रचार में शिवराज सिंह की सक्रियता इस बात का संकेत देती है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता के बीच रमाकांत भार्गव को लेकर असंतोष है। हाल ही में भाजपा द्वारा आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में कम उपस्थिति और दीपावली मिलन समारोह में कार्यकर्ताओं की उदासीनता इस बात की पुष्टि करती है। पार्टी का मानना है कि शिवराज सिंह की लोकप्रियता और क्षेत्र में उनकी छवि से ही इस चुनौती का सामना किया जा सकता है।

 

कांग्रेस की रणनीति और शिवराज की लोकप्रियता की टक्कर

बुधनी विधानसभा क्षेत्र को शिवराज सिंह चौहान का गढ़ माना जाता है, जहां कांग्रेस पिछले तीन दशकों से सफलता हासिल नहीं कर पाई है। कांग्रेस इस उपचुनाव में अपनी रणनीति को धार देकर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर रही है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने अपने करियर के शुरुआती दौर से ही इस क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभाव को कम किया और लगातार बड़ी जीतें हासिल कीं। लेकिन इस बार शिवराज सिंह स्वयं प्रत्याशी नहीं हैं, जिससे कांग्रेस को एक अवसर मिलता दिख रहा है।

 

विपक्ष में भी हलचल, शिवराज के प्रचार पर नजरें

कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान के प्रचार अभियान पर नजर रखे हुए है, क्योंकि यह देखना दिलचस्प है कि क्या उनकी उपस्थिति भाजपा के पक्ष में माहौल बना सकती है। भाजपा समर्थक और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में उनका साथ देंगे, लेकिन क्षेत्र की जनता का मूड और भाजपा प्रत्याशी के प्रति उनकी प्रतिक्रिया परिणाम को निर्णायक बनाएगी।

 

कांग्रेस का मजबूत दावा, शिवराज के लिए कठिनाई

बुधनी में शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति कांग्रेस के लिए हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस इसे मौका मान रही है और जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रही है। शिवराज के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

 

चुनाव परिणाम का इंतजार

इस उपचुनाव का परिणाम न केवल बुधनी के लिए, बल्कि भाजपा के आगामी चुनावी रणनीति के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। यह देखना रोचक होगा कि शिवराज सिंह चौहान के समर्थन से क्या भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव जीत दर्ज कर पाते हैं, या कांग्रेस पहली बार इस सीट पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब होती है।

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