छपिया में 6.50 करोड़ की परफॉर्मेंस ग्रांट में घोटाले का आरोप, जांच तिथि पर भी नहीं पहुंची टीम; डीपीआरओ के आदेश की अनदेखी!

एपीएस न्यूज़, महराजगंज (सोनू पाण्डेय)
परतावल/महराजगंज। जिले के परतावल ब्लॉक की ग्राम पंचायत छपिया में 6.50 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस ग्रांट से जुड़े घोटाले की जांच को लेकर चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। शिकायतकर्ता की ओर से डीएम और जिला पंचायत राज अधिकारी को सौंपे गए प्रमाणिक शपथ पत्र और दस्तावेजों के बावजूद, जांच टीम तय तिथि पर गांव नहीं पहुंची। इससे डीपीआरओ के जांच आदेश की गंभीर अनदेखी हुई है, जिससे पंचायत राज विभाग की नीयत पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जिले के परतावल ब्लॉक अंतर्गत छपिया ग्राम पंचायत में 2021 से 2025 के बीच 6.50 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत आरसीसी सड़क, नाली और अन्य निर्माण कार्यों में कथित घोटाले की शिकायत पर जांच के आदेश के बावजूद 24 मई को जांच टीम गांव नहीं पहुंची। शिकायतकर्ता सफीकुर्रहमान ने 30 अप्रैल को जिलाधिकारी को शपथ पत्र सहित शिकायत सौंपकर आरोप लगाया था कि कई कार्य अधूरे या अस्तित्वहीन हैं, फिर भी करोड़ों रुपये का भुगतान फर्जी फर्मों के नाम पर हुआ है। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की अनदेखी और दो-तीन बारिशों में सड़कें उखड़ने, नालियों के बैठ जाने की बात भी शिकायत में दर्ज है।
डीपीआरओ कार्यालय द्वारा 21 मई को पत्रांक 376/पंचायत के माध्यम से सहायक विकास अधिकारी (पं.) को जांच का जिम्मा सौंपा गया और 24 मई को ग्राम सचिवालय में प्रधान व सचिव की उपस्थिति के साथ जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। लेकिन तय तिथि को कोई भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचा। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि एक सहायक अभियंता महज फोटो खींचकर लौट गया, न तो अभिलेख देखे गए, न कोई जनसुनवाई हुई।
इससे अब यह आशंका गहराने लगी है कि जांच को ‘मैनेज’ कर मामले को रफा-दफा किया जा रहा है। जनता के बीच यह सवाल गूंज रहा है—क्या यह सरकार की “भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत” नीति के खिलाफ सीधा धोखा नहीं है? क्या यह मामला उन भ्रष्ट प्रतिनिधियों और अधिकारियों को संरक्षण देने का प्रयास है, जो वर्षों से सरकारी धन का दुरुपयोग करते आ रहे हैं?
अब नवागत जिलाधिकारी से उम्मीदें बंध गई हैं कि वे इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच समिति गठित करें, फर्जी भुगतान व जर्जर निर्माण कार्यों का भौतिक सत्यापन कराएं, और दोषी अधिकारियों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएं।
गौरतलब है कि इस मामले का पहला खुलासा ‘आनंद पब्लिक’ समाचार पत्र ने 17 मई 2025 के अंक में किया था, जिसमें विस्तृत रूप से 6.50 करोड़ की परफॉर्मेंस ग्रांट की बंदरबांट को उजागर किया गया था। लेकिन अब जब जांच का आदेश भी निष्क्रिय हो गया, तो यह एक गहरी प्रशासनिक विफलता का संकेत देता है।
छपिया प्रकरण एक पंचायत स्तर का घोटाला मात्र नहीं, बल्कि यह पूरे पंचायती राज तंत्र की पारदर्शिता, जवाबदेही और सरकारी अधिकारियों की नीयत पर सीधा प्रश्न है। यदि इस पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह उन भ्रष्टाचारियों को खुला संरक्षण देने के समान होगा, जो जनधन को अपनी जागीर समझते हैं।