​सरकारी खलिहान पर अवैध कब्जा: सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना, लेखपाल की चेतावनी भी बेअसर

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ठूठीबारी के शांतिनगर में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश के बावजूद खलिहान पर टाटी बांध खेती शुरू, लेखपाल की चेतावनी के बाद भी अतिक्रमण जारी

एपीएस न्यूज़, महराजगंज (सोनू पाण्डेय)

निचलौल/महराजगंज: निचलौल तहसील के ग्राम सभा ठूठीबारी के मोहल्ला शांतिनगर स्थित सार्वजनिक खलिहान की भूमि पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट यथास्थिति बनाये रखने के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए कुछ अतिक्रमणकारियों ने ना सिर्फ मिट्टी डालकर भूमि समतल की, बल्कि अब टाटी बांधकर उस पर सब्जी की खेती भी शुरू कर दी है। हल्का लेखपाल की चेतावनी व समझाइश भी बेअसर साबित हो रही है। दो दशक से विवादित है ज़मीन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिनांक 17 अप्रैल 2023 को आया थायह खलिहान ज़मीन करीब 20 वर्षों से न्यायालय में विवादित है। सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 17 अप्रैल 2023 को स्पष्ट रूप से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया था, जिसका पालन गांव स्तर पर किया जा रहा था। जानबूझकर गिराई गई मिट्टी, लेखपाल ने दी थी सख्त चेतावनीलगभग दो माह पूर्व, ग्राम सभा के कुछ लोगों ने मनमानी करते हुए खलिहान की ज़मीन पर मिट्टी गिराकर अतिक्रमण की शुरुआत कर दी।

ग्रामीणों द्वारा दी गई शिकायत पर हल्का लेखपाल मौके पर पहुंचे और स्थिति को गंभीर मानते हुए चेतावनी दी कि आगे कोई भी कार्य न्यायालय की अवमानना होगा। अब टाटी बांधकर हो रही खेती, प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम अवहेलनालेखपाल की सख्त हिदायत के बावजूद, अतिक्रमणकारी अब टाटी बांधकर सब्जी की खेती कर रहे हैं। यह कार्यवाही स्पष्ट रूप से मा. न्यायालय के आदेश की सीधी अवहेलना मानी जा रही है। प्रशासनिक प्रतिक्रिया: कानून उल्लंघन पर होगी कड़ी कार्रवाईहल्का लेखपाल ने पुष्टि की कि “मामला पुनः संज्ञान में है। संबंधित पक्षों को फिर से समझाया गया है। यदि वे नहीं मानते हैं, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। किसी भी स्थिति में मा. न्यायालय के आदेश की अवमानना नहीं होने दी जाएगी।” कानूनी दृष्टिकोण: न्यायिक आदेश सर्वोपरिभारत के संविधान व विधि के अनुसार, जब किसी भूमि से जुड़ा मामला न्यायालय में लंबित हो और यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश हो, तब किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न्यायालय की अवमानना मानी जाती है, जिसकी सजा तय है। नागरिक और प्रशासन रहें सजगयह घटना बताती है कि न्यायिक आदेशों की अनदेखी कर सार्वजनिक संपत्ति पर कब्ज़े की कोशिशें हो रही हैं। शासन-प्रशासन को ऐसी गतिविधियों पर त्वरित व सख्त कार्रवाई करते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी न्यायालय का आदेश न तोड़े।

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