जोशीमठ में हिमस्खलन का कहर, श्रमिकों ने डरावने मंजर को किया बयां
उत्तराखंड के जोशीमठ में शुक्रवार सुबह श्रमिकों के लिए बेहद डरावनी रही। भारी बर्फबारी के बीच श्रमिकों ने जब अपने कंटेनरों के बाहर छह फीट मोटी बर्फ की चादर देखी, तो उनमें दहशत फैल गई। बर्फ की मोटी परत के कारण कंटेनरों के दरवाजे मात्र दो फीट तक ही खुले रह गए।
इस भयावह स्थिति में कुछ श्रमिक टिनशेड में जाकर सुबह का इंतजार करने लगे। इसी दौरान पहली बार जोरदार आवाज के साथ हिमस्खलन हुआ, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, दूसरी बार जब और अधिक तीव्रता से हिमखंड टूटा, तो पूरा क्षेत्र तबाही की चपेट में आ गया।
हिमस्खलन की गूंज और तबाही का मंजर
उत्तरकाशी निवासी अभिषेक पंवार ने बताया कि जब वह रोजाना की तरह कंटेनर से बाहर निकले, तो पहाड़ियों से तेज धमाकों की आवाजें आ रही थीं। कुछ ही देर में पूरे इलाके को बर्फीले तूफान ने घेर लिया।
पिथौरागढ़ निवासी मुकेश कुमार ने कहा कि हिमस्खलन के दौरान उनका कंटेनर लुढ़क गया, जिससे वे जाग गए। लेकिन, कंटेनर पूरी तरह बर्फ में दब गया था, जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया। सेना और आईटीबीपी के जवानों ने बचाव अभियान चलाया और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।
मुरादाबाद के विजय पाल ने बताया कि पहले एक हिमखंड गिरा, तो वे तुरंत कंटेनर से बाहर आ गए। लेकिन, दूसरे हिमखंड के गिरते ही उनका कंटेनर लापता हो गया। बर्फ में फंसने के बावजूद वे सेना के कैंप तक पहुंचे और मदद की गुहार लगाई।
श्रमिकों का संघर्ष और बचाव अभियान
पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह का कंटेनर बर्फ के कारण 20 मीटर नीचे चला गया, लेकिन वह सुरक्षित बच गए। गाजीपुर निवासी सत्यप्रकाश यादव का कंटेनर 200 मीटर दूर अलकनंदा नदी के किनारे पहुंच गया और पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बावजूद इसके, सभी श्रमिक किसी तरह सेना कैंप तक पहुंचे, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया।