उर्सला कांड: मां-बेटे की मौत रहस्य बरकरार, एक साथ उठे शव तो छलक पड़े आंसू

कानपुर के उर्सला परिसर में घरेलू कलह के चलते मां के हाथों मारे गए 14 महीने के मासूम सम्राट की मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञ यह नहीं बता पा रहे हैं कि महिला ने बेटे को मुंह दबाकर मारा या दूध जैसे किसी पदार्थ में जहर दिया है। अब उसके विसरा और फेफड़े को जांच के लिए सुरक्षित कर फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।
बता दें, उर्सला के सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले सुमित की पत्नी स्नेहा (23) ने सोमवार को बेटे सम्राट की हत्या कर दी थी। उसके बाद खुद फंदे पर लटककर जान दे दी थी। पोस्टमॉर्टम में स्नेहा की मौत हैंगिग से होना पाया। वहीं, सम्राट के शरीर पर कहीं भी कोई चोट या खरोंच का निशान नहीं मिला। कार्यवाहक डीसीपी पूर्वी रवींद्र कुमार ने बताया कि परिजनों ने अभी तक तहरीर नहीं दी है। तहरीर मिलते ही रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
एक साथ मां-बेटा के शव उठे तो सबके छलके आंसू
उर्सला के पैथोलाजी कर्मी सुमित की पत्नी स्नेहा और बेटे सम्राट की मौत की खबर पाकर बड़ी संख्या में दोनों पक्षों के लोग मंगलवार सुबह ही पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंच गए। जब मां-बेटे का शव एक साथ उठे, तो मायके और ससुराल पक्ष समेत तमाम लोग रो पड़े। रिश्तेदारों ने दुखी परिजनों को संभाला और शव अंतिम संस्कार के लिए लेकर चले गए।
ये था पूरा मामला
उर्सला में पति सुमित को सोमवार की शाम पांच बजे नाश्ता दिया, उसके पैथोलाॅजी जाने के बाद डेढ़ साल के बेटे सम्राट की गला दबाकर हत्या करने के बाद स्नेहा ने खुद फंदा लगाकर जान दे दी। डेढ़ घंटे में ऐसा क्या हुआ कि स्नेहा ने दुस्साहसी कदम उठा लिया। मां नीतू ने बताया था कि स्नेहा को रील बनाने का शौक था। वह अक्सर सोशल मीडिया पर रील बनाकर अपलोड करती थी। यह बात सुमित को बुरी लगती थी, जिसके चलते अक्सर दोनों में विवाद भी होता था।
15 दिन पहले चाचा की हो गई थी मौत
इसके बाद स्नेहा ने पिछले साल सितंबर के बाद से कोई रील सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं की थी। यही वजह थी कि 24 नवंबर को शादी की सालगिरह व 14 नवंबर को बच्चे के जन्मदिन पर भी कोई वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं किया था। पिता श्याम ने पुलिस को बताया कि 15 दिन पहले स्नेहा के चाचा मंगल की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
डिप्रेशन जैसी कोई बात सामने नहीं आई थी
स्नेहा ने फोन कर मायके आने की इच्छा जाहिर की, तो परिवार में सूतक चल रहा था। उन्होंने उसे आने से रोक दिया था। रविवार को स्नेहा ने देर शाम फोनकर बातचीत की। उस दौरान डिप्रेशन जैसी कोई बात सामने नहीं आई थी। उन्हें क्या पता था कि उनकी बेटी से आखिरी बात हो रही है। जरा सा भी आभास होता तो वह बेटी और नाती को अपने पास बुला लेते, तो आज वह हमारे बीच में होती।