डॉक्टर नीरजा भटला को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा, सर्वाइकल कैंसर रोकथाम के लिए वैक्सीन पर कर रही हैं काम

डॉक्टर नीरजा भटला को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा, सर्वाइकल कैंसर रोकथाम के लिए वैक्सीन पर कर रही हैं काम

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए स्वदेशी वैक्सीन पर काम कर रही एम्स की पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर नीरजा भटला को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। एम्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने भारत में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम पर कई शोध परियोजनाओं का नेतृत्व करना जारी रखा,

जिसमें कम संसाधन वाली सेटिंग्स में स्क्रीनिंग, एचपीवी महामारी विज्ञान, किफायती एचपीवी परीक्षण और टीकों पर परीक्षण शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्त्री रोग और प्रसूति संघ (FIGO) की अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में FIGO स्त्री रोग कैंसर प्रबंधन ऐप विकसित किया गया।

निजी अंगों में संक्रमण हो और जांच के बाद डॉक्टर सर्वाइकल कैंसर की आशंका जताएं, तब भी दो वैक्सीन काफी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ निजी अस्पताल लाभ के लिए महिलाओं को पांच से छह वैक्सीन लगाने का सुझाव दे रहे हैं, जबकि दो वैक्सीन के बाद भी 50 से 80 फीसदी तक सुरक्षा मिल सकती है। सर्वाइकल कैंसर को लेकर आई जागरूकता के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं पैप स्मीयर टेस्ट करा रही हैं। इसमें कुछ महिलाओं में संक्रमण मिल रहा है। ऐसी महिलाओं को निजी अस्पतालों में छह वैक्सीन तक लगाने का सुझाव दे रहे हैं।

एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूर्व प्रमुख व स्वदेशी वैक्सीन कार्यक्रम से जुड़ीं डॉ. नीरजा भटला ने बताया कि इस कैंसर की रोकथाम के लिए कुछ वैक्सीन को 45 तक और कुछ वैक्सीन को 26 साल तक की उम्र की महिला को लगाने का लाइसेंस मिला हुआ है, लेकिन संक्रमण होने के बाद यह रोग को दूर नहीं कर सकता। हालांकि दूसरे वायरस के संक्रमण से 50 से 80 फीसदी तक राहत दे सकता है, बावजूद इसके डॉक्टर छोटी उम्र की लड़कियों को ही वैक्सीन लगाने का सुझाव देते हैं।

महिलाओं में यदि सर्वाइकल इंट्रापीथेलियल नियोप्लासिया (सीआईएन) बन गया तो उनका आगे इलाज होता है। इसमें निजी अंग में ऊपर परत को निकाल देते हैं। इससे संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 20 साल की उम्र तक के लिए एक या दो और 20 साल से अधिक उम्र के लिए दो वैक्सीन ही काफी हैं। तीन या इससे अधिक वैक्सीन एचआईवी या इम्यून संबंधित रोग से पीड़ित के व्यक्ति को दी जाती है।

सवाईकल कैंसर का मुख्य कारण मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है। यह एक सामान्य वायरस है, जो त्वचा और श्लेष्मल झिल्ली पर संक्रमण करता है, खासकर महिलाओं के निजी अंग पर। एचपीवी के 16 और 18 कारक इस कैंसर के मुख्य कारण बन सकते हैं।

देश में 10 में से एक महिला में सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका रहती है। समय से पूर्व इसकी पकड़ व रोकथाम के लिए 35 साल और 45 साल में एचपीवी टेस्ट करवाना जरूरी है। इस टेस्ट की मदद से समय से पूर्व रोग की पकड़ हो सकती है। मौजूदा समय में अधिकतर महिलाएं एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचती हैं। ऐसी महिलाओं को बचाना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इनका इलाज भी जटिल होता है। इसके अलावा नियमित स्क्रीनिंग भी करवानी चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए तैयार हो रही स्वदेशी वैक्सीन जल्द बाजार में आ सकती है। देश में इस वैक्सीन के ट्रायल का अंतिम दौर चल रहा है। उम्मीद है कि ट्रायल के परिणाम अगले माह तक सामने आ सकते हैं। मौजूदा समय में परिणाम बेहतर मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वदेशी वैक्सीन के आने के बाद देशभर में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 9 से 14 साल की बच्चियों को यह वैक्सीन लगाई जा सकेंगी। वैक्सीन लगाने के बाद लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर होने की आशंका काफी कम हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हो सकता है आप चूक गए हों