भागलपुर में ऑनलाइन गेमिंग एप पर पैसे गंवाने के बाद युवक ने रची खुद के अपहरण की साजिश
भागलपुर में ऑनलाइन गेमिंग एप में पैसे गंवाने के बाद खुद के ही अपहरण की साजिश रचने के मामले का पुलिस ने खुलासा किया है। मामले में पुलिस ने युवक को बरामद कर लिया है। उधार लेकर ऑनलाइन गेमिंग एप में युवक ने पैसे लगाए थे और हारने के बाद उसने अपने ही अपहरण की साजिश रची थी।
एक दिन पूर्व ही युवक की मां ने सबौर थाना में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने चार घंटे के अंदर केस का खुलासा कर दिया। युवक को पुलिस ने कोर्ट के सामने पेश किया। इधर मामले में पुलिस अब उल्टा उसी युवक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।
डीएसपी विधि व्यवस्था चंद्र भूषण ने बताया कि 23 जनवरी को एक महिला ने सबौर थाना पहुंच कर उनके बेटे का अज्ञात लोगों द्वारा अपहरण करने और फिरौती मांगे जाने की शिकायत की थी। मामले में सबौर पुलिस ने तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर अपहृत युवक की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी। अपहृत युवक को चार घंटे के भीतर जीरोमाइल चौक स्थित फ्लाइओवर ब्रिज से सकुशल बरामद कर लिया। अपहृत युवक सबौर का रहने वाला 18 वर्षीय विकास कुमार सिंह है।
जब पुलिस ने युवक से घटना के संबंध में जानकारी लेने की कोशिश की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। युवक ने बताया कि वह ‘गुरु भाई’ नामक ऑनलाइन गेमिंग एप पर लगातार पैसे लगा रहा था। इसके लिए वह अपने दोस्तों से कुल 48 हजार रुपये उधार ले चुका था। शुरुआती गेम में आसान गेम और कम पैसे लगाने पर उसने पैसे जीते और झांसे में आकर उसने मोटी रकम लगानी शुरू कर दी। उसने अपने दोस्तों से पैसे लिये। जिसके बाद वह हारने लगा।
इधर जिन दोस्तों से उसने पैसे लिये उन्होंने उस पर पैसे लौटाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद उसने अपने परिजनों से ही पैसे ठगने की योजना बनायी। अपने ही अपहरण की एक झूठी कहानी रची। अपनी मां को कॉल कर एक लाख रुपये की मांग करने लगा। जिसके बाद वह पकड़ा गया।
डीएसपी विधि व्यवस्था चंद्र भूषण ने अभिभावकों सहित युवक-युवतियों और किशोर-किशोरियों से अपील की है। उन्होंने ऐसे ऑनलाइन गेमिंग एप जिसमें पैसे लगाने पर ज्यादा पैसे मिलते हैं उनसे बचने को कहा है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में भागलपुर सहित आसपास के जिलों में इस तरह की कई खबरें आ चुकी हैं। ऑनलाइन पैसे लगाने वाले गेम्स में सब कुछ हारने के बाद या तो किशोर व युवक गलत कदम उठा लेते हैं या फिर अपराध का रास्ता चुन लेते हैं। ऐसे में अभिभावकों की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को इस तरह की लत में पड़ने से बचाएं।