काशी में शिक्षा, भारतीय से विवाह; मीरा नायर के ट्रस्ट से प्रेरित फिल्म जो बाल मजदूरी पर आधारित

काशी में शिक्षा, भारतीय से विवाह; मीरा नायर के ट्रस्ट से प्रेरित फिल्म जो बाल मजदूरी पर आधारित

शॉर्ट फिल्म ‘अजुना’ ऑस्कर 2025 में नामांकन पाने में सफल रही है। सह-निर्देशक एडम जे ग्रेव्स ने हाल ही में इस फिल्म के निर्माण, इसके संदेश और उसकी कहानी को पर्दे पर जीवंत करने के लिए किए गए सामूहिक प्रयासों के बारे में खुलकर बातचीत की। इस फिल्म को उन्होंने सुचित्रा मट्टई के साथ मिलकर बनाया गया है।

यह फिल्म दिल्ली की एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाली दो बहनों, अनुजा (सजदा पठान) और पलक (अनन्या शानबाग) के जीवन के संघर्ष को बयां करती है। यह फिल्म बाल श्रम की वैश्विक समस्या पर आधारित है। साथ ही, यह फिल्म प्रेम और आशा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डालती है।

एडम जे ग्रेव्स ने इस बारे में कहा कि उनकी दक्षिण एशियाई अध्ययन में अकादमिक पृष्ठभूमि और भारतीय दर्शन और संस्कृति में गहरी रुचि थी, जिसने फिल्म को बनाने में उनकी दृष्टि को आकार दिया। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययन करने और भारत में कई वर्षों तक रहने का अनुभव साझा किया। भारत की समृद्ध संस्कृति और दृश्य सौंदर्य ने उन्हें काफी प्रभावित किया। इसके अलावा उनकी पत्नी के परिवार की दास प्रथा से जुड़ी हुई श्रमिक समस्याओं ने उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ग्रेव्स ने यह भी साझा किया कि उन्हें यह जानकर बहुत चिंता हुई कि दुनियाभर में हर दस बच्चों में से एक बच्चे को बाल श्रम करना पड़ता है। कुल मिलाकर यह संख्या 16 करोड़ है। ग्रेव्स के मुताबिक उन्हें महसूस हुआ कि इस विषय पर बहुत कम फिल्में बनाई गई हैं। यही वजह थी कि उन्होंने इस कहानी को लोगों के सामने पेश करने का निर्णय लिया। उनका उद्देश्य एक ऐसी फिल्म बनाना था जो न केवल बाल श्रम के मुद्दे को उठाए, बल्कि इससे प्रभावित बच्चों की संघर्षशीलता और भावना को भी दिखाए। ग्रेव्स ने कहा कि फिल्म में खुशी और उम्मीद के पलों को जानबूझकर जोड़ा गया था। अपने शोध के दौरान वह ऐसे बच्चों से मिले, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अविश्वसनीय रचनात्मकता दिखाई। इस वजह से उन्हें एक संतुलित फिल्म बनाने के लिए प्रेरणा मिली जो इन बच्चों की चुनौतियों और ताकत दोनों को दर्शाती है।
फिल्म के निर्माण और कास्टिंग प्रक्रिया में सलाम बालक ट्रस्ट का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण था। यह संस्था सड़क पर रहने वाले बच्चों की मदद करती है। इस ट्रस्ट की स्थापना फिल्म निर्माता और निर्देशक मीरा नायर के परिवार ने की थी। उन्होंने ग्रेव्स और उनकी टीम को युवा कलाकारों से मिलवाया, जिनमें सजदा पठान भी शामिल थीं। ग्रेव्स ने कहा कि ट्रस्ट के साथ काम करने से उन्हें एक वास्तविक और प्रामाणिक कहानी बनाने में मदद मिली, क्योंकि संस्था कला के माध्यम से बच्चों को सशक्त बनाने पर विश्वास करती है।

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