Mahakumbh 2025: IIT बाबा से लेकर मोनालिसा, हर कोने में कुछ खास

Mahakumbh 2025: IIT बाबा से लेकर मोनालिसा, हर कोने में कुछ खास

महाकुंभ, एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस बार के महाकुंभ में कुछ विशेष साधु-संतों ने अपनी अनोखी कला और कार्यों के जरिए सबका ध्यान खींचा है।

डिजिटल मौनी बाबा
राजस्थान के उदयपुर से आए डिजिटल मौनी बाबा ने पिछले 12 साल से मौन व्रत धारण किया है, लेकिन उनके मौन रहने का तरीका काफी खास है। वह अपने शिष्यों से बातचीत करने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। सामान्य तौर पर लोग मौन रहने पर लिखित या मौखिक संवाद करते हैं, लेकिन बाबा अपने विचार एक डिजिटल बोर्ड पर लिखकर साझा करते हैं। उनका यह तरीका महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बना है, और अब तक करीब 73 लाख श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। उनकी मौन साधना और डिजिटल माध्यम से संवाद ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है।

नाक से बांसुरी बजाने वाले बाबा
महाकुंभ में पटियाला से आए ईश्वर बाबा अपनी नाक से बांसुरी बजाने की अनोखी कला के कारण मशहूर हो गए हैं। वह सिर्फ एक नहीं, बल्कि दो बांसुरी एक साथ बजा सकते हैं, और सबसे खास बात यह है कि वह अपनी नाक से भी बांसुरी बजाते हैं। उनकी इस कला ने उन्हें ‘बांसुरी बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध कर दिया है। वह जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं और उनकी कला को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। उनकी यह अनोखी कला महाकुंभ में एक खास आकर्षण का कारण बन गई है।

एनवायरमेंट बाबा
आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अरुणा गिरी, जिन्हें ‘एनवायरमेंट बाबा’ के नाम से जाना जाता है, महाकुंभ में अपने पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए चर्चा में हैं। 2016 में उन्होंने वैष्णो देवी से कन्या कुमारी तक 27 लाख पौधे बांटे थे, और इस बार उनके लक्ष्य में 51 हजार पौधे महाकुंभ के दौरान लगाने का है। उनका मानना है कि धार्मिक कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी बेहद महत्वपूर्ण है। उनके इस काम ने उन्हें महाकुंभ में एक विशेष पहचान दी है।

स्वर्णिम बाबा
महाकुंभ के संगम पर एक और बाबा हैं, जिनका नाम नारायण स्वामी है, लेकिन वह ‘स्वर्णिम बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। वह केरल के तिरुवनंतपुरम से आए हैं और उनके शरीर पर छह किलो से अधिक सोने के आभूषण हैं। गहनों से लदे स्वर्णिम बाबा निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर के पद पर आसीन होने वाले हैं। उनके अनोखे रूप और गहनों ने उन्हें महाकुंभ में एक आकर्षण का केंद्र बना दिया है।इन साधुओं की अनोखी विशेषताएं महाकुंभ को और भी खास बना रही हैं, और इनकी अलग-अलग पहलुओं से समाज को संदेश मिलता है।

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