महाकुंभ में अफसरों का कल्पवास: संगम की रेती पर जप, तप और ध्यान

क्या वाकई महाकुंभ में कल्पवास व्रत रखने से मनचाही चीजें मिल जाती हैं? घर  बैठकर भी ये व्रत रख सकते हैं? | TheHealthSite.com हिंदी

 

महाकुंभ में जीवन को सुधारने और पुण्य कमाने की होड़ में उच्च अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। संगम की रेती पर कई आला अधिकारी कल्पवास कर रहे हैं। इनमें डीएम से लेकर मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं। दो दर्जन से अधिक आईएएस, आईपीएस अधिकारी संकल्पित होकर कल्पवास कर रहे हैं। सेवानिवृत्त अधिकारियों की संख्या इनमें अधिक है। वे अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ संगम की रेती पर लगे शिविरों में रहकर, संगम में डुबकी लगाने के बाद दिन भर समाज के मंगल के लिए जप, तप और ध्यान कर रहे हैं।

 

कल्पवास का विशेष महत्व

संगम की रेती पर ड्यूटी के लिए आए अफसर भी इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहते। वे ड्यूटी के साथ-साथ कठिन अनुशासन से बंधकर कल्पवास कर रहे हैं। कल्पवास के दौरान, ये अधिकारी संकल्प लेकर एक महीने तक संगम तट पर जप, तप, ध्यान, पूजा-पाठ और गंगा स्नान करते हैं। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी भी इस वर्ष कल्पवास कर रहे हैं।

 

प्रमुख अधिकारी और उनका संकल्प

राजेंद्र तिवारी ने मोरी-मुक्ति मार्ग स्थित क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के शिविर में महाराजा कॉटेज आरक्षित कराया है। वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ संगम में डुबकी लगाकर कल्पवास करेंगे। वाराणसी और अन्य जिलों के डीएम और मंडलायुक्त रहे ए.के. उपाध्याय भी कल्पवास करेंगे। आईएएस अधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र और पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह भी कल्पवास कर रहे हैं।

 

ड्यूटी के दौरान कल्पवास

ड्यूटी कर रहे एक आईपीएस अधिकारी ने बताया कि वे ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं और नियमित रूप से तीन बार गंगा स्नान करते हैं। इस दौरान, वे श्रद्धालुओं और संतों की सेवा करते हैं और हरि नाम का संकीर्तन करते हैं।

कल्पवास के नियम

कल्पवास करने वाले को सत्य वचन बोलना पड़ता है और झूठ बोलने पर कल्पवास खंडित हो जाता है। साथ ही अहिंसा का पालन, इंद्रियों पर नियंत्रण, प्राणियों पर दया और व्यसनों का त्याग करना पड़ता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तीन बार गंगा स्नान करना और संतों की सेवा व जप-कीर्तन करना भी नियमों में शामिल है। कल्पवास के दौरान एक समय ही भोजन किया जाता है।

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