बिहार न्यूज: प्रगति यात्रा के दौरान टूटी पुलिया पर CM नीतीश की नजर, विपक्ष ने उठाए सवाल

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किशनगंज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान हुई एक घटना ने राजनीति में हलचल मचा दी है। मंगलवार को सीएम ने एक प्रस्तावित बाईपास स्थल का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने सुरक्षा घेरा तोड़कर एक टूटी हुई पुलिया का जायजा लिया। यह पुलिया किसी सड़क से जुड़ी नहीं थी और उसका संपर्क मार्ग भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त था। इस घटना की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें नीतीश कुमार पुलिया की ओर गंभीर नजरों से देखते हुए दिखाई दे रहे हैं।

 

विपक्ष का हमला

इस घटना के बाद विपक्ष ने सरकार की तीखी आलोचना शुरू कर दी। राजद नेता तेजस्वी यादव और बिहार कांग्रेस ने वायरल तस्वीर को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साधा। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर तंज कसा कि नीतीश कुमार की “प्रगति सह दुर्गति यात्रा” में विकास कार्यों की असली तस्वीर सामने आ गई है। उन्होंने सरकार पर संगठित भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में हजारों पुल-पुलिया बनाए गए हैं, जो कागजों पर तो पूरे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।

 

तेजस्वी यादव के आरोप

तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार में पुल-पुलिया निर्माण की प्रक्रिया भ्रष्टाचार से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि अधिकतर पुल-पुलिया बिना संपर्क मार्ग के अधर में लटके रहते हैं। बारिश और बाढ़ के दौरान कई अधूरे पुल ढह जाते हैं, और कुछ को कागजों में “फ्लड डैमेज” दिखाकर नए टेंडर की प्रक्रिया में डाल दिया जाता है। उन्होंने इसे “संस्थागत लूट” बताते हुए कहा कि इसका संचालन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके करीबी अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है।

 

प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल

यह घटना न केवल विकास कार्यों की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। प्रगति यात्रा के दौरान घेराबंदी और छुपाव की कोशिशें सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।

 

सोशल मीडिया पर चर्चा

वायरल तस्वीर ने जनता के बीच भी चर्चा को जन्म दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह प्रगति यात्रा विकास कार्यों की सच्चाई को छुपाने का प्रयास है? विपक्ष ने इसे बिहार में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बताया है।

 

सरकारी जवाब का इंतजार

सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई ठोस बयान नहीं आया है। लेकिन यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बिहार में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार की सख्त जरूरत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन आरोपों और सवालों का जवाब कैसे देती है।

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