राजस्थान की झांकी में दिखेगी शाही विरासत और आधुनिक विकास की कहानी

गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर दिल्ली में आयोजित परेड में राजस्थान की विशिष्ट सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाली झांकी शामिल होगी। इस झांकी को “विरासत और विकास” थीम पर तैयार किया जा रहा है, जिसमें राज्य की समृद्ध परंपराओं और आधुनिक प्रगति का अद्भुत संयोजन देखने को मिलेगा।
राजस्थान की झांकी की विशेषताएं:
1. त्योहारों का चित्रण:
झांकी में राजस्थान के प्रसिद्ध तीज और गणगौर त्योहारों को प्रदर्शित किया जाएगा। ये त्योहार राज्य की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं का प्रतीक हैं।
2. शेखावाटी की प्राचीन हवेलियां:
शेखावाटी की भव्य हवेलियों, उनके दीवार चित्रों और भित्ति चित्रों को भी झांकी का हिस्सा बनाया गया है। यह राज्य की ऐतिहासिक और वास्तुशिल्पीय विरासत का अद्भुत उदाहरण है।
3. पर्यटन और संरक्षण पर फोकस:
झांकी में दिखाया जाएगा कि कैसे राज्य का पर्यटन विभाग इन संरचनाओं को संग्रहालयों में बदलने के प्रयास कर रहा है, ताकि पर्यटक राजस्थान की धरोहर को करीब से देख सकें।
4. विकास की झलक:
झांकी में जल संरक्षण और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में राजस्थान द्वारा की गई प्रगति को भी दर्शाया जाएगा। यह राज्य की आधुनिक सोच और टिकाऊ विकास की ओर बढ़ते कदमों को उजागर करेगा।
राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में तैयार हो रही झांकी:
दिल्ली के राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में लगभग 40 फुट लंबी झांकी को तैयार किया जा रहा है। इसमें राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान के साथ-साथ राज्य के विकास की कहानी को बड़े ही आकर्षक और कलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा।
भारत पर्व 2025 में विशेष प्रदर्शन:
26 से 31 जनवरी तक दिल्ली के लाल किला परिसर में आयोजित भारत पर्व 2025 में राजस्थान की इस झांकी को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके माध्यम से देश-विदेश से आए दर्शक राजस्थान की कला, संस्कृति और विकास यात्रा को और करीब से समझ सकेंगे।
समृद्ध विरासत और उन्नति का संगम:
इस झांकी के जरिए राजस्थान न केवल अपनी पुरातन परंपराओं को सम्मान देगा, बल्कि अपने विकास के पथ को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। गणतंत्र दिवस परेड 2025 में यह झांकी निस्संदेह दर्शकों का ध्यान आकर्षित करेगी और राज्य के गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।