Delhi Polls: ग्रेटर कैलाश के मतदाता मुद्दों पर देते हैं वोट, पार्टी-प्रत्याशी से ऊपर है एजेंडा; इस बार किसकी होगी जीत

Delhi Polls: ग्रेटर कैलाश के मतदाता मुद्दों पर देते हैं वोट, पार्टी-प्रत्याशी से ऊपर है एजेंडा; इस बार किसकी होगी जीत

ग्रेटर कैलाश विधानसभा इलाके में खस्ताहाल सड़कें, गंदगी, स्कूल और हॉस्पिटल के पास अतिक्रमण की समस्या और प्रदूषण से लोग खासे परेशान हैं। दिल्ली की पॉश सीट के तौर पर पहचान रखने वाली इस सीट के मतदाता पार्टी और प्रत्याशी की जगह मुद्दों पर वोट करने के लिए जाने जाते हैं।

ग्रेटर कैलाश पार्ट 2 में अमर उजाला ने लोगों से इस विधानसभा चुनाव की नब्ज टटोली। काली बाड़ी मंदिर से शुरू हुई बातचीत में सामने आया कि दिल्ली के मिनी बंगाल चितरंजन पार्क के लोग दिल्ली विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व चाहते हैं ताकि उनके सामाजिक सांस्कृतिक मुद्दे उठाए जा सकें।

वहीं, थोड़ी दूर पर एम ब्लाक मार्केट में खड़े प्रदीप सचदेवा सरकारों की ओर से केवल दिखावे के लिए किए जाने वाले खर्चों से नाराज दिखें। उन्होंने कहा कि हमारे टैक्स के पैसों का दुरुपयोग न किया जाए।

ग्रेटर कैलाश इलाके में पॉश रिहायशी इलाके और मशहूर मार्केट है। जीके 1 और जीके 2 मार्केट दिल्ली की नहीं दुनियाभर में मशहूर है।  चितरंजन पार्क स्थित बंगाली कॉलोनी और कालीबाड़ी मंदिर भी इसी विधानसभा सीट का हिस्सा हैं। यहां एक दर्जन से अधिक गांव और कई अनाधिकृत कॉलोनियां हैं।
वर्ष 2013 के बाद से अब तक तीन बार हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ही विजय हुए हैं। इस बार भी भाजपा ने शिखा राय को प्रत्याशी बनाया है। अस्तित्व में आने के बाद इस सीट से बीजेपी के विजय कुमार मल्होत्रा विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्हें कुल वोटो में से 53 फीसद वोट प्राप्त हुआ था।
यहां सरकारी नौकरी पेशा करने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी है। चितरंजन पार्क जो मिनी बंगाल के नाम से जाना जाता है। यहां बंगाली समुदाय के लोग भी किसी को एकतरफा वोट करते हैं। जीत-हार काफी हद तक यहां अनधिकृत कॉलोनी में रहने वाले मतदाताओं पर निर्भर करता है। पंजाबी समुदाय का वोट भी निर्णायक है।
सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करना चाहिए। इलाके में सार्वजनिक शौचालय नहीं बने हैं, जिससे महिलाओं को दिक्कत होती है। इसके अलावा सड़कों पर गंदगी फैलती है।
सरकार को नाम दिखाने के लिए पैसों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। एम ब्लॉक मार्केट में सौंदर्यीकरण के नाम पर पैसों की बर्बादी की गई।
दिल्ली सरकार में आजादी के बाद से कभी भी बंगाली समाज का प्रतिनिधित्व नहीं रहा। सरकार से लंबे समय से बांग्ला भाषा के संरक्षण के लिए बांग्ला अकादमी बनाने की मांग की जा रही है।

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